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बोल ऊठी बिटिया - 7 वीं कक्षा की तीसरी भाषा हिंदी पाठ्यपुस्तक प्रश्नावली

 
  बोल ऊठी बिटिया

I) इन प्रश्नों को उत्तर लिखो:

1. बिटिया क्या कहकर बुला रही थी?
उत्तर : बिटिया माँ कहकर बुला रही थी
 
2. बिटिया क्या खाकर आयी थी?
उत्तर : बिटिया मिट्टी खाकर आयी थी

3. बिटिया की आँखे में क्या छलक रहा था?
उत्तर : बिटिया की आँखे मे कौतुहल छलक रहा था

II) इस पद्य भाग को पूरा कीजिए :

मैं बचपन को बुला रही थी।
बोल उठी बिटिया मेरी
नंदनवन सी फूल उठी
यह छोटी सी कुटिया मेरी।

III) उदाहरण के अनुसार लिखो :

1. वह दूध बेचती थी। वे दूध बेचती थी
उत्तर : वह चित्र बनाती हूँ। वे चित्र बनती थी

2. मैं अंडे लाता हूँ। हम अंडे लाते है
उत्तर : मैं पुस्तक पढता हूँ। हम पुस्तक पढते है।

3. मैंने फल खाया। हमने फल खाया
उत्तर : मैंने नीबू खरीदा। हमने नीबू खरीदा।

4. तुम दुध पिओगे। आप दुध पियेंगे
उत्तर : तुम मिठाई खओगे। आप मिठाई खयेंगे

IV) उदाहरण के अनुसार तुकांत शब्द चुनकर लिखो :

उदाहरण : बाल – चाल
1. जान – पान
2. उठाया – गिराया
3. आते – जाते
4. भेड – पेड
5. सच्चे – बच्चे

V) कविता को कंठस्थ कीजिए:

मैं बचपन को बुला रही थी
बोल उठी बिटिया मेरी
नंदनवन सी फूल उठी
यह छोटी सी कुटिया मेरी।
माँ ओ कहकर बुला रही थी
मिट्टी खाकर आयि थी
कुछ मुँह में, कुछ लिये हाथ में,
मुझे दिखने लाई थी।
पुलक रहे थे अंग दृगों में
कौतूहल था छलक रहा;
मुँह पर भी आहलाद लालिमा,
विजय गर्व था झलक रहा।

VI) कविता से तुकांत शब्दों को चुनकर लिखो:

उदाहरण :
बचपन – नंदनवन
बिटिया – कुटिया
आयी – लाई फूल
छलक – चलक

VII) विलोम शब्दों का मिलन करो

1. वरदान – आभिशाप
2. सुख – दुःख
3. बलवान – बलहीन
4. धनी – निर्धन
5. जीवन – मरण
6. सुबह – शाम
7. इतना – उतना
8. पवित्र – अपवित्र

बोल ऊठी बिटिया कवयित्री का परिचय :

सुभद्रा कुमारी चौहान हिन्दी की प्रसिध्द कवियित्री हैं। आपका जन्म 1904 में हुआ और मृत्यु 1948 को एक कार दुर्घटना में हुई। आपकी काव्य पक्तियाँ “खूब लडी मर्दानू वह तो अँसीवाली रानी थी” प्रसिद्ध है। “मुकुल”आपका कविता संग्रह है। इस के अलवा आपका कहानी संकलन और शिशु साहित्य भी है।
बोल ऊठी बिटिया 
“सुभद्राकुमारी चौहान” शैराव के विविध चित्र बहुत सहज शैली में व्यक्त करनेवाली कवियित्री हैं। इस कविता में बिटिया की बोली का और मिट्टी खाने के प्रसंग का वर्णन है। माँ- बेटी का मधुर वात्सल्य का चित्रण इस में निहित है।
कवियित्री कहती है कि – “मैं बचपन को बुला रही थी, तब मेरी बिटिया बोल उठी।” तब मेरी कुटिया (घर) नंदनवन जैसी आनंद से भर गयी।
मेरी बेटी मुझे,”माँ आओ” कहकर बुला रही थी। वह मि ी खाकर, हाथ में भी लाभी थी। और मुझे उस मिी को दिखाने लगी। – उस्की आँखों के कुतुहल छलक रही थी। उसका अंग आनंद से पुलकित हो रहा था। मुँह पर लालिमा और विजय गर्व से वह झलक रही।।
मैंने सहज रुप से बेटी से पूछा – “यह क्या लायी “? बोल उठी वह माँ खाओ”। तब मेरा हृदय खुशी से प्रकुलित ही उठी और कहने लगी तुम्ही खाओ।
 
ಪ್ರಸ್ತುತ ಈ ಪದ್ಯ ಭಾಗದಲ್ಲಿ ಕವಯಿತ್ರಿ ಬಾಲ್ಯದ ಸವಿನೆನಪುಗಳನ್ನು ಬಹಳ ಮಾರ್ನಿಕವಾಗಿ ಇಲ್ಲಿ ಚಿತ್ರಿಸಿದ್ದಾರೆ. ತನ್ನ ಮಗಳು ಬಾಯಿ ತುಂಬಾ ಮಣ್ಣು  ತಿನ್ನುದ್ದೇ ಅಲ್ಲದೆ ಕೈ ತುಂಬಾ ಹಿಡಿದುಕೊಂಡು ಒಂದು ತಾಯಿಗೆ ತಾಯಿ ತೋರಿಸುತ್ತ ನೀನು ಎನ್ನುವ ತಾಯಿ ಮಗಳ ಪ್ರಸಂಗ ಇಲ್ಲಿದೆ.

ಕವಿತ್ರಿ ಒಮ್ಮೆ ಕುಳಿತು ಬಾಲ್ಯದ ಬಗ್ಗೆ ಯೋಚಿಸುತ್ತಿರಲು ನಗುತ್ತಾ ಆಕೆಯ ಮಗಳು ಅಲ್ಲಿಗೆ ಬಂದಳು. ಅವಳ ಮುದ್ದು ಮುದ್ದು ಮಾತುಗಳನ್ನು ಕೇಳಿ ತನ್ನ ಚಿಕ್ಕ ಮನೆ ನಂದನ ವನದಂತೆ ಸಂತೋಷ ಆನಂದವನ್ನು ಆಕೆಗೆ ತಂದಿತು. ಮಗಳು ಹೊರಗಿನಿಂದ ಬಂದು ಅಮ್ಮ ಬಾ ಎಂದು ಕರೆದಳು. ಬಂದು ನೋಡಲು ಅವಳು ಬಾಯಿ ತುಂಬಾ ಮಣ್ಣು ತುಂಬಿಕೊಂಡಿದ್ದು ಕೈಯಲ್ಲಿ ಮಣ್ಣನ್ನು ತಂದು ತೋರಿಸುತ್ತಿದ್ದಳು.

ನನಗೆ ಆಶ್ಚರ್ಯವಾಯಿತು. ಅವಳ ಕಣ್ಣಲ್ಲಿ ಕುತೂಹಲವಿತ್ತು. ಮೈಯೆಲ್ಲಾ ರೋಮಾಂಚನಗೊಂಡಿತು. ಮುಖ ಎಲ್ಲಾ ಕೆಂಪಾಗಿತ್ತು. ಅವಳ ಮುಖದಲ್ಲಿ ವಿಜಯದ ಗರ್ವ ಕಾಣುತ್ತಿತ್ತು. ಸುಭದ್ರ ಕುಮಾರಿ ಕೇಳಿದಳು ಇದೇನು ತಂದೆ? ಮಗಳು ನುಡಿದಳು. ಅಮ್ಮ ತಿನ್ನು ಅಂದನು ತಿಂಡಿ ಎಂಬಂತೆ ಒಂದು ಪ್ರೀತಿಯಿಂದ ತಂದು ತಿನ್ನು ಎಂದು ಹೇಳಿದಳು ಹೃದಯ ಪುಲಕಿತಗೊಂಡಿತು. ಖುಷಿಯಿಂದಲೇ ನನಗೆ ಬೇಡ ನೀನೇ ತಿನ್ನು ಎಂದಳು.

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