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सिकंदर और पुरूरवा - 7 वीं कक्षा की तीसरी भाषा हिंदी पाठ्यपुस्तक प्रश्नावली

 
 सिकंदर और पुरूरवा

I) इन प्रश्नों को उत्तर लिखो:

1. शिविर में कौन प्रवेश करता है?
उत्तर : शिविर में यवन सेनापति, बंदी पुरूराज के साथ प्रवेश करता है।

2. पुरुराज क्या कहकर सिकंदर का अभिवादन करता है?
उत्तर : पुरुराज मै भारतवीर कहकर सिकंदर का अभिवादन करता है।

3. पुरुराज सिकंदर की मैत्री संधि को अस्वीकार क्यों करता है?
उत्तर : अपने राज्य की रक्षा और आत्मासम्मान की रक्षा। वह मित्रता द्वारा भारत को तोडकर भारत जीतना चाहते थे। इसलिए पुरूराज सिकंदर की मैत्री संधि को इसलिए अस्वीकार करता है।

4. सिकंदर भारत को कैसे जीतना चाहता था?
उत्तर : सिकंदर भारत को मित्रता के द्वारा जीतना चाहता

5. सिकंदर के लिए किस पर विजय पाना कठिन था?
उत्तर : सिकंदर के लिए भारत पर विजय पाना कठिन था।

6. किसके लिए भारत – विजय कठिन है?
उत्तर : सिकंदर के लिए भारत विजय कठिन है।

II) इन प्रश्नों को उत्तर लिखो:

1. यवन सेनापति कहाँ प्रवेश करता है?
उत्तर : यवन सेनापति शिविर मे प्रवेश करता है

2. भारतवीर किसका अभिवादन करता है?
उत्तर : भारत वीर सिकंदर का अभिवादन करता है।

3. बन्दी होने पर भी अपने को कौन वीर मानता है?
उत्तर : बन्दी होने पर भी पुरुराज अपने को भारतीय धीर मानता है।

4. किस स्थिति में भी वीर, वीर ही होता है?
उत्तर : हर स्थिति मे भी वीर, वीर ही होता है।

5. सिकंदर की मैत्री सन्धि को कौन अस्वीकार करता है?
उत्तर : सिकंदर की मैत्री सान्ध को पुरुराज अस्वीकार करता है।

6. भारत को तोडकर उसे कौन जीतना चाहता था?
उत्तर : भारत को तोडकर उसे सिकंदर जीतना चाहता था

7. भारत की एकता कैसी है?
उत्तर : भारत की एक्ता सुदृढ है।

8. कौन पुरूराजा का मित्र बना?
उत्तर : सिकंदर पुरूराजा का मित्र बना।

III) आशुद्ध शब्दों को शुद्ध करो :

1. सीकंदर – सिकंदर
2. भारात – भारत
3. बिजय – विजय
4. पूरूराजा – पुरूराजा
5. दंबी – बंदी
6. टीक – ठीक

IV) जोडकर लिखो:

1. पूरूराजा – भारतवीर
2. विश्व – विजयी
3. यवन – सेनापति
4. स्वर्गदपि – गरीयसी

V) वाक्य पूरा करो

1. सिंह तो सिंह ही है।
2. हर स्थिति मे वीर वीर ही होता है।
3. तुम मित्रता के द्वारा जीतना चाहते हो।
4. भारत की एकता सुदृढ है।
5. आज से हम मित्र है।

VI. कन्नड या अंग्रेजी में अनुवाद करो:
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VII). समानार्थक शब्दः

1. आधिक – जयादा
2. शरीर – देह
3. फायदा – लाभ
4. सर्दी – शरद काल
5. नमस्कार – अभिवादन
6. विचार – सोच

VIII) आन्य लिंग रूप:

1. सिंह – सिंहिनी
2. सम्राट – सम्राटिनी
3. आदमी – औरत
4. राजा – रानी
5. जननी – जनना
6. नौकर – नौकरानी

IX) प्रेरणार्थक शब्द लिखो:

1. करना – कराना
2. पढना – पढाना
3. चरना – चराना
4. बनना – बनाना
5. दौडना – दौढना
6. उठना – उठाना

X) चार विशेषण शब्द लिखो:

उदाहरण :
सुंदर
तेज
अद्भुत
आच्छी
आकर्षक

XI) आन्य वचन रूप लिखो:

1. बेडी – बडे
2. सेना – सेने
3. माला – माले
4. देश – देश
5. पिंजरा – पिंजरे
6. वस्फ़्तु – वस्तुए

XII) विलोम शब्द :

1. सत्य x असत्य
2. मित्र x शत्रु
3. स्वर्ग x नरक
4. विजय x पराजय
5. कठिन x आसान
6. बन्धन x मुक्ती

सिकंदर और पुरूरवा 
“सिकंदर और पुरुराज” एक ऐतिहासिक एकांकी है, जिसमें पुरुराज की वीरता और बंदी के साथ एक वीर का दूसरे वीर के समान व्यावहार करते के लिए सिकंदर से कहने का उसका साहस चित्रित किया गया है। .. संदर्भ :सिकंदर भारत देश पर आक्रमण करने के लिए आता है। अम्भि राज के षडयंत्र से पुरुराज को सिकंदर बन्धि बनाता है। किन्तु पुरुराज अपनी वीरता का प्रमाण देता है।
 
सिकंदर के शिबिर पर अम्भि के साथ सेनापति पुरुराज को बान्धिबनाकर ले आने पर पुरुराज, सिकंदर को अभिनंदन करता है। और राष्ट्रप्रेम और राष्ट्रद्रोह के बारे में बताता है। वह अपने को सिंह मानता है। भारतीयों की राष्ट्रप्रेम और एकता का विवरण देता है। सिकंदर आपसी फूट की बारे में पूछते पर पुरुराज कहता है कि -“यह आपस की विषय है, लेकिन बाहरी शक्ति का हस्तक्षेप असहनीय है।
अलग-अलग धर्म, अलग अलग वेश्भूषण होने पर हम सव भारतीय है। जो भूमि है उसको भारत कहते हैं और यहाँ रहनेवाले भारतीय संतान है। और यह भी कहता है कि भारत को जीतना कठिन ही नहीं असंभव भी है कहथ है। गीता का संदेश भी सुनाता है।
सिकंदर खुश होकर पूछता है कि -“आपं के साथ किस तरह का व्यवहार किया जाए?” तब पुरुराज कहता है कि – “एक वीर, दूसरे वीर के साथ जो व्यवहार करता है।”
सिकंदर हर्षित होकर पुरुराज की मुक्त करता है। और एक हाथ से पुरु और एक हाथ से आम्भि के हाथ पकडकर कहता है कि – “वीर पुरुराज ! मित्र अम्भि आज से हम सामान मित्र हैं सभी खुश होकर प्रस्थान करते हैं।

ಸಿಕಂದರ್ ಹಾಗೂ ಮಹಾರಾಜ ಕನ್ನಡದಲ್ಲಿ ಸಾರಾಂಶ:

ಸಿಕಂದರ್ ಹಾಗೂ ಮಹಾರಾಜ ಎಂಬುದೊಂದು ಐತಿಹಾಸಿಕ ಪ್ರಧಾನ ಕಥೆಯಾಗಿದೆ. ಏಕಾಂಗಿ ನಾಟಕ ಶೈಲಿಯಲ್ಲಿದೆ. ಇದನ್ನು ಶ್ರೀಮತಿ ಸರೋಜಿನಿ ಕಪೂರ್ ರವರು ರಚಿಸಿದ್ದಾರೆ.

ಸಿಕಂದರ್ ಭಾರತ ದೇಶದ ಮೇಲೆ ದಂಡೆತ್ತಿ ಬಂದಿದ್ದಾನೆ. ಅಭಿರಾಜನ ಸಹಾಯದಿಂದ ಪುರು ರಾಜನನ್ನು ಬಂಧಿಸಿದ್ದಾರೆ. ವೀರಪುರು ರಾಜನನ್ನು ಸೇನಾಪತಿ, ಅಂಬಿಯೊಂದಿಗೆ ಸಿಕಂದರ್ನ ಶಿಕಾರಕ್ಕೆ ಕರೆ ತಂದಾಗ ಸೇನಾಪತಿಯೊಂದಿಗೆ ಹೊಂದಿಸುತ್ತಾನೆ. ಹಾಗೂ ತನ್ನನ್ನು ತಾನು ಸಿಂಹನೆಂದು ಹೇಳುತ್ತಾನೆ.

ಆತ ಸಂಧಿಮಾಡಿಕೊಳ್ಳುವುದು ರಾಷ್ಟ್ರದೇಹವೆಂದು ತಿಳಿಸಿದಾಗ ಸಿಕಂದರ್ ಪ್ರಭಾವಿತನಾಗುತ್ತಾನೆ. ಭಾರತೀಯರಲ್ಲಿದ್ದ ತಮ್ಮೊಳಗಿನ ಅಂತರ್ಗ ದ್ವೇಷದ ಬಗ್ಗೆ ತಿಳಿಸಿದಾಗ "ಅದು ಭಾರತೀಯರ ಅಂತ ವಿಷಯ,  ಇದರಲ್ಲಿ ಹೊರಗಿದ ವ್ಯಕ್ತಿ ಹಸ್ತಕ್ಷೇಪ ಮಾಡಕೂಡದು. ಎಂದು ಪುರು ಹೇಳುತ್ತಾನೆ. ವಿಶಾಲವಾದ ಈ ಭಾರತ ದೇಶದಲ್ಲಿ ಧರ್ಮ ವೇಷ ಭಾಷೆ ಇರಬಹುದು.

ಆದರೆ ನಾವು ಭಾರತೀಯರು ಎಂದೆಂದಿಗೂ ಒಂದೇ, ಎಂಬುದನ್ನು ಕೇಳಿ ಸಿಕಂದರ್ ಭಾರತವನ್ನು ಗೆಲ್ಲುವುದು ಕಷ್ಟ ಎಂದು ಹೇಳುತ್ತಿರುವ ಆಗಲೇ ಮಹಾರಾಜನು ಕಷ್ಟ ಮಾತ್ರವಲ್ಲ ಅಸಾಧ್ಯ ಕೂಡ ಎಂದು ಹೇಳುವದು. ಏಕೆಂದರೆ ಭಾರತೀಯರು ವೀರರು ಅಷ್ಟೇ ಅಲ್ಲ ಗೀತೆಯ ವಾಕ್ಯವನ್ನು ಪಾಲಿಸುವರು ಎಂಬುದಾಗಿ.

ಇದನ್ನು ಕೇಳಿದ ಸಿಕಂದರ್ ಪುರುರಾಜವ್ನಿಗೆ "ನಿನ್ನ ಜೊತೆ ಹೇಗೆ ವ್ಯವಹರಿಸಬೇಕು?" ಎಲ್ಲೂ ಕೇಳಲು, ಗುರುರಾಜನು " ಒಬ್ಬ ವೀರ ಮತ್ತೊಬ್ಬ ವೀರನೊಡನೆ ವ್ಯವಹರಿಸುವಂತೆ" ಎಂದು ಹೇಳಿದಾಗ ಸಿಕಂದರ್ ನಿಗೆ ಬಹಳ ಸಂತೋಷವಾಗಿ ಗುರುರಾಜನನ್ನು ಬಂಧನದಿಂದ ಮುಕ್ತಗೊಳಿಸಿ ಒಂದು ಕೈಯಿಂದ ಪುರೋರಾಜನನ್ನು ಮತ್ತೊಂದು ಕೈಯಿಂದ ಅಭಿರಾಜನನ್ನು ಹಿಡಿದು, ಇಂದಿನಿಂದ ನಾವೆಲ್ಲ ಮಿತ್ರರು, ಎಂದು ಸಂತೋಷದಿಂದ ಅಪ್ಪಿಕೊಳ್ಳುವನು. " ಮೈತ್ರಿಯ ಉತ್ಸವ " ಆಚರಿಸೋಣವೆಂದು ಹೇಳಿ ಎಲ್ಲರೂ ಹೊರಡುವರು
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