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निबंध लेखन - 8 वीं कक्षा की तीसरी भाषा हिंदी पाठ्यपुस्तक प्रश्नावली

 निबंध लेखन

1. गणतंत्र दिवस।
15 अगस्त 1947 ई. को हमारा देश स्वतंत्र हुआ। उसी समय देश का संविधान बनाने के लिए एक सभा बनाई गई, जिसका नाम ‘संविधान सभा’ रखा गया। इसके बनाए हुए संविधान को 26 जनवरी 1950 ई. को सारे देश में लागू कर दिया गया और भारत को गणराज्य घोषित किया गया। इसी दिन डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारतीय गणराज्य के प्रथम राष्ट्रपति बने। तभी से 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। हम प्रत्येक वर्ष इस दिन बड़े उत्साह से गणतंत्र दिवस मनाते हैं। यह हमारा राष्ट्रीय पर्व है।
सभी राज्यों के मुख्यालयों, जिलों, तहसीलों, शिक्षा संस्थाओं आदि में गणतंत्र दिवस पूरे उत्साह से मनाया जाता है। सभी शासकीय भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है। राज्य तथा जिले के मुख्यालय में पुलिस की परेड़ होती है। अनेक स्थानों में शिक्षा-संस्थाएँ और सरकारी विभाग आकर्षक झाँकियाँ भी निकालते हैं। विद्यालयों में भी इस राष्ट्रपर्व को उत्साह से मनाते हैं।
गणतंत्र दिवस पर हर भारतीय का हृदय उल्लास से भरा होता है। जन-जन का उत्साह देश के नागरिकों की राष्ट्रीयंता की गहरी भावना का परिचय देता है। गणतंत्र दिवस हमें उन शहीदों एवं स्वतंत्रता-संग्राम के सेनानियों का स्मरण कराता है, जिनके बलिदान से आज हम स्वतंत्र हवा में साँस ले रहे हैं। किंतु इन शहीदों की कुर्बानी तभी सार्थक होगी जब हम . अपने कर्तव्य का पूरी ईमानदारी के साथ पालन करेंगे।

2. राष्ट्रीय त्योहार।
भारत में मुख्य रूप से दो प्रकार के त्योहार मनाए जाते है – धार्मिक या जातीय त्योहार और राष्ट्रीय त्योहार या पर्व। पर्व वास्तव में धार्मिक एवं जातीय किस्म के त्योहारों को कहा या माना जाता है। भारत क्योंकि अनेक जातियों-धर्मों का संगम स्थल है, इस कारण यहाँ हर जाति-धर्म के अपनेअपने कुछ विशिष्ट त्योहार है, जिन्हें केवल उसी जाति एवं धर्म को मानने वाले लोग ही अपनी विशिष्ट ढंग से मनाया करते हैं।
भारत में दूसरे प्रकार के मुख्य उत्सव और त्योहार ऐसे हैं जिन्हें राष्ट्रीय कोटि के स्वीकार किया जाता है। पूरे भारत के लोग बिना जाति-धर्म का कोई भेद किए मिल-जुलकर मनाया करते हैं। पन्द्रह अगस्त, गणतंत्र दिवस अर्थात् 26 जनवरी, 2 अक्टूबर इसी प्रकार के दिन है, जिनका महत्त्व सारा राष्ट्र मुक्त भाव से स्वीकार करता है। 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस भी कहा जाता है। सन् 1947 में इसी दिन भारत अंग्रेजों की दासता से मुक्त हुआ था। इस खुशी में प्रत्येक वर्ष सारा भारत इस दिन को स्वतंत्रता दिवस होने के कारण एक पावन पर्व, उत्सव या त्योहार की तरह मनाता है।
26 जनवरी का दिन भी एक महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय त्योहार के रूप में मनाया जाता है। इस दिन क्योंकि भारत ने अपना संविधान बनाकर पहली बार लागू किया था, भारत के पहले राष्ट्रपति की घोषणा की गई थी और भारत को गणतंत्र घोषित किया गया था – इस कारण इस त्योहार का महत्व स्वतंत्रता दिवस से भी बढ़कर माना जाता है। इन दो मुख्य राष्ट्रीय त्योहारों के अतिरिक्त दो अक्टूबर क्योंकि राष्ट्रपिता गांधी का जन्म-दिवस है, राष्ट्रीय स्तर पर हर वर्ष मनाया जाता है।

3. पर्यावरण।
‘पर्यावरण’ का शाब्दिक अर्थ है – हमारे चारों ओर का प्राकृतिक आवरण। जो कुछ भी हमारे चारों ओर विद्यमान है, हमें ढकेलपेटे हुए है उसे पर्यावरण कह सकते हैं। प्रकृति ने मानव के लिए एक सुखद आवरण बनाया था। साँस लेने के लिए स्वच्छ . हवा, पीने के लिए साफ़ पानी, कोलाहल रहित शांत प्रकृति, हरे-भरे वन, उनमें बसने वाले पशु पक्षी इन सबके रूप में प्रकृति ने मानव को कितना कुछ दिया, किंतु मानव ने अपने स्वार्थ में एक ओर तो प्रकृति की सुविधाओं का अंधाधुंध लाभ उठाकर उसका शोषण किया और दूसरी ओर प्रगति के नाम पर शोरगुल, धुआँ, जहरीली गैसे वायुमंडल में भर दी, यही नहीं समुद्र आदि के जल को भी विषाक्त कर दिया।
हमारे चारों ओर की भूमि, हवा और पानी ही हमारा पर्यावरण है। इसी में हम जीते आए हैं और इससे हमारा संबंध पुराना है लेकिन हमसे भी पुराना पौधों और जानवरों का है। हमारे लिए सारे जानवर और पेड़-पौधे बहुत ही जरूरी हैं, क्योंकि इनके बिना तो हमारी जिंदगी की गाड़ी जरा भी आगे नहीं चल सकती। यह पर्यावरण जीव-जातियों के कारण ही जीवंत है।
दुख की बात है कि सभ्यता और विकास के नाम पर हम प्रकृति की धरोहर को नष्ट कर रहे हैं और अपने पैरों पर स्वयं कुल्हाड़ी मार रहे है। यदि पर्यावरण का संरक्षण नहीं किया गया तो मानवजाति का अस्तित्व ही संकट में पड़ जाएगा।

4. दूरदर्शन अथवा दूरदर्शन से लाभ।
आधुनिक युग विज्ञान का युग कहलाता है। इस युग में मानव की सुविधा के लिए विज्ञान ने अनेक चीजें दी है। मनोरंजन के नये-नये साधन दिये हैं। उनमें एक है दूरदर्शन दूरदर्शन का स्थान आज बहुत ऊँचा और महत्वपूर्ण है। संसार के किसी भी कोने में हुई घटनाओं को, चाहे वे सुखदायी हो या दुखदायी, यथावत् लोगों के सामने रखने का काम दूरदर्शन करता है। दूरदर्शन का उपयोग आजकल उच्च शिक्षा में भी किया जाता है। बड़े-बड़े वैज्ञानिक प्रयोग, शोध, आदि का परिचय दूरदर्शन द्वारा सारे विश्व को कराया जाता है।
लोगों को शिक्षित करने में दूरदर्शन का महत्वपूर्ण स्थान है। भारत जैसे अर्धविकसित देश में करीब छब्बीस प्रतिशत लोग अनपढ़ हैं। अनपढ़ों को पढ़ाई, स्वास्थ्य, नागरिक शिक्षा आदि विषयों के बारे में जानकारी देने में दूरदर्शन के द्वारा अत्यधिक सहायता प्राप्त होती है। दूरदर्शन मनोरंजन का प्रमुख साधन है। यह हमें मनोरंजन प्रदान करता है। दूरदर्शन सस्ते दामों पर विज्ञान और मनोरंजन को प्रदान करने में सफल हुआ है। लोग घर बैठे-बैठे बिना कष्ट के अपना मनोविकास और मनोरंजन कर सकते हैं। इस प्रकार दूरदर्शन आजकल एक सफल लोकप्रिय प्रचार-माध्यम साबित हुआ है।
दूरदर्शन से कुछ हानियाँ भी है। दूरदर्शन के प्रचार से सिनेमा उद्योग को कुछ धक्का लगा है। लोग अब घर में ही बैठकर अपने पसंद की फिल्में देख सकते हैं। बड़े-बड़े राष्ट्रीय खेल, प्रतियोगिताएँ बिना पैसे दिये घर बैठकर हम देख सकते हैं। इससे खेलों के मैदान में भीड़ कम हो गयी है। दूरदर्शन में आज बच्चों की रुचि अधिक हो गयी है। इससे इसका असर उनकी पढ़ाई पर पड़ गया है। बच्चे अपनी पढ़ाई की ओर कम ध्यान दे रहे है।

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