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स्वामी विवेकानंद - 9 वीं कक्षा की तीसरी भाषा हिंदी पाठ्यपुस्तक प्रश्नावली


 स्वामी विवेकानंद 

अभ्यास

I. एक वाक्य में उत्तर लिखिए :

 1. विवेकानंद के बचपन का नाम क्या है ?
उत्तर: विवेकानंद के बचपन का नाम नरेन्द्र देव है।
2. विवेकानंद का जन्म कब हुआ था ?
उत्तर: विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 में हुआ था।
3. नरेंद्र पढने में कैसे थे ?
उत्तर: नरेंद्र पढने में बडे तेज थे।
4. विवेकानंद के गुरु कौन थे ?
उत्तर: विवेकानंद के गुरु रामकृष्ण परमहंस थे।
5. विवेकानंद अमरीका कब गए ?
उत्तर: विवेकानंद 31 मई सन् 1893 को अमरीका गए।
6. विवेकानंद की अनुयायिनी कौन थी ?
उत्तर: विवेकानंद की अनुयायिनी कुमारी नोबल थी जो सिस्टर निवेदिता के नाम से प्रसिद्ध हुई।
7. विवेकानंद का देहांत कब हुआ ?
उत्तर: विवेकानंद का देहांत 4 जुलाई सन् 1902 को हुआ।

II. दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए :
1. विवेकानंद ने कौन-सा व्रत लिया ?
उत्तर: विवेकानंद ने श्री रामकृष्ण परमहंसजी के संदेश का प्रसार करने का दृढ़ संकल्प ले रखा था। इसलिए वे अपने जीवन में सेवा कार्य करने का वृत लिया। इसी कारण उन्होंने कलकत्ते में अपने गुरु के नाम पर रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। उन्होंने धर्म और दर्शन का संसार में प्रसार किया और समाज सेवा का व्रत लिया।
2. विवेकानंद के माता-पिता का नाम क्या है ?
उत्तर: विवेकानंद के पिता श्री विश्वनाथ दत्त कलकत्ते के एक प्रसिद्ध वकील थे। उनकी माता श्रीमती भुवनेश्वरी धर्मपरायण महिला थी। उन्होंने नरेन्द्र को आरंभ से ही अनुशासन और धर्म परायणता का पाठ पढ़ाया।
3. विवेकानंद की रुचि किन किन विषयों में थी ?
उत्तर: अध्ययन काल में विवेकानन्द की सबसे अधिक रुचि व्याख्यान देने और विचारों के आदान-प्रदान करने में थी। इसलिए उन्होंने कॉलेज में व्याख्यान-समीति बनाकर प्रतियोगिता में भाग लिया। संगीत में और खेल कूद में भी उनकी रुचि थी। कुश्ती लपडने, दौड लगाने और घुडसवारी तथा तैरने में उनकी रुचि थी।
4. विवेकानंद ने भारतवासियों को क्या उपदेश दिया?
उत्तर: विवेकानंद ने भारत में भ्रमण करके भारतियों को भारतीय संस्कृति और तत्वज्ञान का। सदुपदेश दिया और अंधविश्वासों तथा रुढियों को दूर हटाकर उन्हें समाज सेवा का उपदेश दिया।
5. विवेकानंद ने किन-किन देशों की यात्रा की ?
उत्तर: विवेकानंद ने 31 मई सन् 1893 को संयुक्त राज्य अमरीका गये। वहाँ के चिकागो नगर में होनेवाले सर्वधर्म सम्मेलन में बाग लिया। उन्होंने इंग्लैंड और स्विटजरलैंड गये और श्रीलंका की यात्राएँ की।
6. विवेकानंद ने जनता को ललकार कर क्या कहने को कहा ?
उत्तर: विवेकानंद ने जनता को ललकार कर यह कहने के लिए कहा कि – प्यारे देशवासियो ! वीर बनो। और ललकार कर कहो कि मैं भारतीय हूँ। अनपढ, निर्धन, ऊँच-नीच जाति के भारतीय सब मेरे भाई हैं। उनकी प्रतिष्ठा मेरी प्रतिष्ठा और उनका गौरव मेरा गौरव है।

III. अन्य वचन रूप लिखिए :
1. रूढी
2. व्याख्या
3. सेवा
4. आज्ञा
5. उपाधि
6. शाखा
उत्तर:
1. रूढी – रूढियाँ
2. व्याख्या – व्याख्याएँ
3. सेवा – सेवाएँ
4. आज्ञा – आज्ञाएँ
5. उपाधि – उपाधियाँ
6. शाखा – शाखाएँ

IV. अन्य लिंग रूप लिखिए :
1. माता
2. घोडा
3. स्वामी
4. अनुयायी
5. बालक
6. शिष्य
उत्तर:
1. माता – पिता
2. घोडा – घोडी
3. स्वामी – स्वामिन्
4. अनुयायी – अनुयायिन्
5. बालक – बालिका
6. शिष्य – शिष्या

V.विलोम शब्द लिखिए :
1. गौरव
2. दुख
3. सत्य
4. धर्म
5. स्वदेश
6. समर्थ
7. सबल
8. ज्ञान
उत्तर:
1. गौरव x अगौरव
2. दुख x सुख
3. सत्य x असत्य
4. धर्म x अधर्म
5. स्वदेश x विदेश
6. समर्थ x असमर्थ
7. सबल x निर्बल
8. ज्ञान x अज्ञान

VI. जोडकर लिखिए :
1 भुवनेश्वरी देवी धर्म का मर्म समझाया।
2 रामकृष्ण मिशन के स्थापना धर्मपरायण महिला थी ।
3 विवेकानंद का जन्म स्वामी विवेकानंद ने की ।
4 अंधविश्वास से हटकर कलने में हुआ।
उत्तर:
1 भुवनेश्वरी देवी धर्मपरायण महिला थी ।
2 रामकृष्ण मिशन के स्थापना स्वामी विवेकानंद ने की ।
3 विवेकानंद का जन्म कलकत्ते में हुआ।
4 अंधविश्वास से हटकर धर्म का मर्म समझाया।

VII. वाक्य में प्रयोग कीजिए :
1. घुडसवारी
2. हृदयस्पर्शी
3. अंधविश्वास
4. अकाल
5. जिज्ञासा
उत्तर:
1. घुडसवारी – बच्चों ने घुडसवारी की।
2. हृदयस्पर्शी – नेताजी का भाषण हृदयस्पर्शी रहा।
3. अंधविश्वास – राजाराम मोहनराय ने लोगों का अंधविश्वास दूर किया।
4. अकाल – उस गाँव में भयानक अकाल पडा।
5. जिज्ञासा – निखिल में बहुत जिज्ञासा थी।

VIII. वाक्य शुद्ध कीजिए :
1. विवेकानंद ने प्रयत्नशील रही।
2. उनकी भाषण गंभीर थी।
3. स्वामीजी कोशिश कि।
4. कुमारी मार्गरिट स्वामीजी का अनुयायी बन गया।
5. उन्होंने गरीबों के दशा सुधारने के संदेश दिया।
उत्तरः
1. विवेकानंद ने प्रयत्नशील रहे ।
2. उनका भाषण गंभीर था।
3. स्वामीजी कोशिश की।
4. कुमारी नोबल अनुयायी बन गयी।
5. उन्होंने गरीबों की दशा को सुधारने के लिए कहा।

IX. तालिका के आधार पर पांच वाक्य बनाइएः
 
उत्तरः
1. यह महेश का भाई है।
2. ये महेश के गुरूजी हैं।
3. ये महेश का मकान है।
4. यह महेश की बहन है।
5. यह महेश का मकान है।

X. रिक्त स्थान भरकर सार्थक शब्द बनाइएः

 
XI. दिये गये शब्दों में निहित चार नये शब्द ढूंढकर लिखिए ।
XII. सही कारक चिह्नों से रिक्त स्थान भरिए ।
1. नदी _____ तट पर आम का पेड है। (की/के)
2. रेलगाड़ी _____ इंजन से धुंआ निकलता है। (के/का)
3. जानवरों _____ दया करनी चाहिए। (में/पर)
4. जवान और बूढों _____ अंतर होता है। (से/में)
5. धूप _____ पत्ते सूख गये। (को/से) .
उत्तरः
1. नदी के तट पर आम का पेड है।
2. रेलगाड़ी के इंजन से धुंआ निकलता है।
3. जानवरों पर दया करनी चाहिए।
4. जवान और बूढों में अंतर होता है।
5. धूप से पत्ते सूख गये।

XIII. अनुरूपता :
1. रामकृष्ण परमहंस : शारदादेवी :: विश्वनाथ दत्त : _________
2. 1863 : विवेकानंद का जन्म :: 1893 : _________
3. विवेकानंद .: नरेंद्र :: सिस्टर निवेदिता : _________
4. शिकागो : अमरीका :: कलकत्ता : _________
उत्तरः
1. रामकृष्ण परमहंस : शारदादेवी :: विश्वनाथ दत्त : भुवनेश्वरी देवी
2. 1863 : विवेकानंद का जन्म :: 1893 : संयुक्त राज्य अमरिका गए
3. विवेकानंद .: नरेंद्र :: सिस्टर निवेदिता : मार्गरेट एलिजबेत
4. शिकागो : अमरीका :: कलकत्ता : भारत

स्वामी विवेकानंद 
स्वामी विवेकानंद पाठ का सारांश :

स्वामी विवेकानन्द पाठ के द्वारा उनके चरित्र पर प्रकाश डाला गया है जो बच्चों को प्रेरणादायक और मार्गदर्शक हो सकता है। भारत के इतिहास में स्वामी विवेकानंदजी का नाम अमर और प्रसिद्ध है। इन्होंने स्वामी रामकृष्ण परमहंस के संदेश को देश विदेश और सारे विश्व में फैलाया। स्वामी विवेकानंदजी का जन्म 12 जनवरी 1863 में कलकत्ते के एक कायस्थ घराने में हुआ। इनके बचपन का नाम नरेन्द्र देव था। इनके पिता श्री विश्वनाथ दत्त कलकत्ते के प्रसिद्ध वकील थे। इनकी माता श्रीमती भुवनेश्वरी धार्मिक महिला थी। इनके माता-पिता इन्हें अनुशासन और धर्म का पाठ सिखाया था। नरेन्द्र बचपन से ही पढ़ने – लिखने में बहुत होशियाँर थे एन्ट-न्स परीक्षा में भी सभी छात्रों में से नरेन्द्र ही प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए थे। उन्होंने बाद में बी.ए. की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने अपने कॉलेज में एक व्याख्यान समीति बनाई और कई प्रतियोगिताओं में भाग लिया। संगीत में भी उन्हें अभिरुचि थी। वे खेल-कूद में भी भाग लिया करते थे। नरेन्द्र धार्मिक प्रश्नों में विचार किया करते थे। उन्होंने जीवन के पूर्व और मृत्यु के बाद का विचार और परमात्मा के बारे में जानना चाहते थे।
 
उन दिनों कलकत्ते में रामकृष्ण परमहंस दक्षिणेश्वर के काली मंदिर में पूजारी थे। नरेन्द्र ने एक दिन उनके पास जाकर अपनी जिज्ञासा उनसे कहा। नरेन्द्र को उनकी बडी श्रद्धा थी।विदेशों में भारतीय जीवन दर्शन और तत्वज्ञान के बारे में बताने और लोगों को सत्य की राह दिखाने के लिए 31 मई 1893 को स्वामी विवेकानंद संयुक्त राज्य अमरीका गये। वहाँ के चिकागो नगर में सर्वधर्म सम्मेलन में स्वामी विवेकानन्द को बात करने का अवसर मिला। स्वामीजी का भाषण गंभीर हृदयस्पर्शी और लोगों को मंत्रमुग्ध किया। स्वामी विवेकानन्दजी कुछ समय इंग्लैंड और स्विटजरलैंड भी गये और सत्य और धर्म के महत्व को बताकर भारत के गौरव को बढ़ाया। कई विदेशी लोग स्वमीजी के शिष्य बने। उनमें कुमारी नोबल का नाम प्रसिद्ध हुई जो स्वामीजी की अनुयायिनी बनकर सिस्टर निवेदिता के नाम से प्रसिद्ध हुई। स्वामीजी जब श्रीलंका से भारत लौटे तो भारत की जनता ने उन्हें बडे उत्साह और गौरव से उन्हें स्वागत किया। उन्हों ने भारत में भारतीय संस्कृति और तत्वज्ञान का परिचय दिया और अंधविश्वास और रूढियों को हटाकर लोगों को धर्म का निजी स्वरूप को बताया। उन्होंने समाज को सेवा का पाठ पढ़ाया।
 
गरीबों की स्थिति को सुधारने के लिए उन्होंने समर्थ लोगों को उनकी सहायता करने के लिए प्रेरिकत किया। समाज सेवा को परमात्मा की सेवा कहा। स्वयं स्वामीजी भी देश-सेवा और समाज सेवा में मग्न रहे। सन् 1897 में प्लेग और अकाल के प्रभाव से पीडित जनता की सेवा उन्होंने की थी। अपने ध्येय समाज सेवा कार्य के लिए स्वामीजी ने कलकत्ते में अपने गुरु के नाम पर रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। इसका कार्य क्षेत्र धीरे धीरे बढकर इसकी शाखाएँ छोटे-बडे शहरों में खोली गयी। ये भूखे, अपाहिज, अनपढ, अछूत आदि की सेवा में लीन रहे। अज्ञान, अंधविश्वास, अशिक्षा, विदेशी अनुकरण, दासता और दुर्बलता के बुरे सर के बारे में उन्होंने लोगों को बताकर उनके मन से हीनता की भावना को हटाया। स्वामीजी लोगों से बताया कि – सभी भारतवासी अपने भाई हैं। उनकी प्रतिष्ठा अपनी प्रतिष्ठा है। उनका गौरव अपना गौरव है। 4 जुलाई सन् 1902 में स्वामी विवेकानंदजी की मृत्यु हुई। वे मरकर भी अमर, उनका कार्य, संदेश हमेशा के लिए अमर हैं।

ಸ್ವಾಮಿ ವಿವೇಕಾನಂದ ಕನ್ನಡದಲ್ಲಿ ಸಾರಾಂಶ:

ಭಾರತದ ಇತಿಹಾಸದಲ್ಲಿ ಸ್ವಾಮಿ ವಿವೇಕಾನಂದರ ಹೆಸರು ಪ್ರಸಿದ್ಧವಾಗಿದೆ. ಇವರು ದೇಶ- ವಿದೇಶಗಳಲ್ಲಿ ಸ್ವಾಮಿ ರಾಮಕೃಷ್ಣ ಪರಮಹಂಸರ ಸಂದೇಶವನ್ನು ಸಾರಿ ಸಾರಿ ಹೇಳಿದ್ದರು. ಇವರು ಭಾರತೀಯ ಧರ್ಮ ಹಾಗೂ ದರ್ಶನವನ್ನು ಜಗತ್ತಿಗೆ ಬೋಧಿಸಿ ಸಮಾಜ ಸೇವೆಗೈದರು. ಜನವರಿ 12, 1863 ರಲ್ಲಿ ಸ್ವಾಮಿ ವಿವೇಕಾನಂದರು ಜನಿಸಿದ್ದರು. ಇವರು ಕಲಕತ್ತೆಯ ಒಂದು ಕಾಯಸ್ಥ ಪರಿವಾರದವರಾಗಿದ್ದರು. ಇವರ ಬಾಲ್ಯದ ಹೆಸರು ನರೇಂದ್ರ ದೇವ ಇತ್ತು. ಇವರ ತಂದೆಯವರಾದ ವಿಶ್ವನಾಥ ದತ್ತರು ಕಲಕತ್ತೆಯ ಒಂದು ಪ್ರತಿಷ್ಠಿತ ವಕೀಲರಾಗಿದ್ದರು. ಇವರ ತಾಯಿ ಶ್ರೀಮತಿ ಭುವನೇಶ್ವರಿಯವರು ಧಾರ್ಮಿಕ ಮಹಿಳೆಯಾಗಿದ್ದರು. ನರೇಂದ್ರನ ತಂದೆ ತಾಯಿಗಳು ಆತನಿಗೆ ಶಿಸ್ತು ಆಗು ಧಾರ್ಮಿಕ ಶಿಕ್ಷಣವನ್ನು ನೀಡಿದರು. ಬಾಲಕ ನರೇಂದ್ರ ಅವರು ಮೊದಲಿನಿಂದಲೂ ಓದು ಬರಹಗಳಲ್ಲಿ ಜಾಣರಾಗಿದ್ದರು. ಇದ್ದರು ಎಂಟ್ರನ್ ಪರೀಕ್ಷೆಯಲ್ಲಿ ಎಲ್ಲಾ ವಿದ್ಯಾರ್ಥಿಗಳಲ್ಲಿ ಪ್ರಥಮ ವರ್ಗದಲ್ಲಿ ಉತ್ತೀರ್ಣರಾಗಿದ್ದರು. ನಂತರ ಇವರು ಬಿ. ಎ. ಪದವಿ ಪಡೆದರು. ಇವರಿಗೆ ಸಂಗೀತ ಹಾಗೂ ಚರ್ಚೆಗಳಲ್ಲಿ ವಿಶೇಷ ಆಸಕ್ತಿ ಇತ್ತು. ಇವರು ಸುಂದರ ಸ್ವಸ್ಥ ಹಾಗೂ ಆಕರ್ಷಕ ವ್ಯಕ್ತಿತ್ವ ಉಳ್ಳವರಾಗಿದ್ದರು. ನರೇಂದ್ರರು ಧರ್ಮ, ಜನನ ಹಾಗೂ ಮರಣಗಳ ಬಗ್ಗೆ ಹಾಗೂ ಮನುಷ್ಯನ ಅಸ್ತಿತ್ವ ಹಾಗೂ ಪರಮಾತ್ಮನ ಬಗೆಗೆ ಅತ್ಯಂತ ಆಸಕ್ತಿಯುಳ್ಳವರಾಗಿದ್ದರು.

ಆ ದಿನಗಳಲ್ಲಿ ರಾಮಕೃಷ್ಣ ಪರಮಹಂಸರು ಕಲಕತೆಯಲ್ಲಿ ದಕ್ಷಿಣೇಶ್ವರದಲ್ಲಿ ಕಾಳಿ ಮಂದಿರ ಪೂಜಾರಿ ಅಥವಾ ಅರ್ಚಕರಾಗಿದ್ದರು. ನರೇಂದ್ರ ಅವರು ಒಂದು ದಿನ ಅವರ ಬಳಿಗೆ ಹೋಗಿ ತಮ್ಮ ಧರ್ಮ ಪರಮಾತ್ಮನ ಬಗೆಗೆ ಇದ್ದ ಕುತೂಹಲವನ್ನು ವ್ಯಕ್ತಪಡಿಸಿದರು. ಇವರು ಅಮೆರಿಕದ ಚಿಕಾಗೋ ನಗರದಲ್ಲಿ ನಡೆಯುತ್ತಿರುವ ಸರ್ವಧರ್ಮ ಸಮ್ಮೇಳದಲ್ಲಿ ಭಾಗವಹಿಸಿ ದೃಢ ಸಂಕಲ್ಪದಿಂದ ರಾಮಕೃಷ್ಣ ಪರಮಹಂಸರ ಸಂದೇಶವನ್ನು ಸಾರಿ ಹೇಳಿದರು. ಇವರ ಭಾಷಣದಿಂದ ಅಲ್ಲಿಯ ಜನರು ಮಂತ್ರ ಮುಗ್ಧರಾದರು. ಇವರು ಇಂಗ್ಲೆಂಡ್ ಆಗು ಅಮೆರಿಕದ ಜನರಿಗೆ ಸಂಯಮ ಹಾಗೂ ತ್ಯಾಗದ ಮಹತ್ವವನ್ನು ವಿವರಿಸಿದರ. ಇವರ ಭಾಷಣ ಗಂಭೀರ ಹಾಗೂ ಹೃದಯಸ್ಪರ್ಶಿಯಾಗಿತ್ತು. ಇವರು ಭಾರತೀಯ ಸಂಸ್ಕೃತಿ, ಸಭ್ಯತೆಯನ್ನು ಇಂಗ್ಲೆಂಡ್, ಸ್ವಿಜರ್ಲ್ಯಾಂಡ್ ಹಾಗೂ ಎಲ್ಲೆಡೆಯಲ್ಲಿ ಸಾರಿ ಸತ್ಯ- ಧರ್ಮವನ್ನು ಬೋಧಿಸಿ ಭಾರತದ ಗೌರವವನ್ನು ಹೆಚ್ಚಿಸಿದರು. ಇವರ ಶಿಷ್ಯರಲ್ಲಿ ಒಬ್ಬ ರಾಧಕುಮಾರಿ ನೋಬೆಲ್ ರೂ ವಿವೇಕಾನಂದರ ಅನುಯಾಯಿಯಾಗಿ ಸಿಸ್ಟರ್ ನಿವೇದಿತ ಹೆಸರಲ್ಲಿ ಪ್ರಸಿದ್ಧ ಪಡೆದರು. ವಿವೇಕಾನಂದರು ಶ್ರೀಲಂಕೆಯಿಂದ ಸ್ವದೇಶಕ್ಕೆ ಬಂದಾಗ ಭಾರತದ ಜನರು ಅತ್ಯಂತ ಉತ್ಸಾಹ ಮತ್ತು ಗೌರವದಿಂದ ಅವರನ್ನು ಸ್ವಾಗತಿಸಿದ್ದರು. ಅವರು ರತದ ತಿರುಗಾಡಿ ಭಾರತೀಯ ಸಂಸ್ಕೃತಿ ಹಾಗೂ ತತ್ವ ಜ್ಞಾನದ ಉಪದೇಶವನ್ನು ನೀಡಿದ್ದರು ಹಾಗೂ ಜನರ ಅಂಧವಿಶ್ವಾಸ, ರೂಢಿಗಳನ್ನು ಹೊಡೆದೋಡಿಸಿ ಧರ್ಮದ ನಿಜ ಸ್ವರೂಪವನ್ನು ತಿಳಿಸಿದರು. ಭಾರತೀಯರ ಹೀನ ಅವಸ್ಥೆಯನ್ನು ಕಂಡು ಜನರಿಗೆ ಸಮಾಜ ಸೇವೆಯ ಬಗ್ಗೆ ತಿಳುವಳಿಕೆ ನೀಡಿದರು. ಅವರು ಸಮಾಜ ಸೇವೆಯನ್ನು ಪರಮಾತ್ಮನ ಸೇವೆ ಎಂದು ಹೇಳಿದರು. ಅವರು ಕಲಾಕತಾದಲ್ಲಿ ರಾಮಕೃಷ್ಣ ಮಿಷನ್ ಸ್ಥಾಪಿಸಿ ಅವರ ಮುಖಂಡರ ಸೇವ ಕಾರ್ಯವನ್ನು ಮುಂದುವರಿಸಿದ್ದರು. ಈ ಸಂಸ್ಥೆಯ ಶಾಖೆಗಳು ಚಿಕ್ಕ ಹಾಗೂ ದೊಡ್ಡ ನಗರಗಳಲ್ಲಿ ತೆರೆದು ಓಡ, ಅಂಗವಿಕಲ, ಆಶಿಕ್ಷಿತ, ಅಸ್ಪೃಶ್ಯರ ಸೇವೆಯನ್ನು ಮಾಡುತ್ತಿವೆ. ವಿವೇಕಾನಂದರು ಜನರ ಮನಸ್ಸಿನ ಹೀನ ಭಾವನೆಯನ್ನು ದೂರ ಮಾಡಿದರು. ವಿವೇಕಾನಂದರು ಎಲ್ಲಾ ಭಾರತೀಯರನ್ನು ಸಹೋದರರಂತೆ ಭಾವಿಸಿ ಅವರ ಗೌರವ ಪ್ರತಿಷ್ಠೆಗಳನ್ನು ತಮ್ಮದೆಂದುಕೊಂಡರು. ಅವರು ಜುಲೈ 4, 192 ರಂದು ಸ್ವರ್ಗಸ್ಥರಾದರು. ಅವರು ಮರಣ ಹೊಂದಿದ್ದರು ಅವರ ಕಾರ್ಯ, ಸಂದೇಶಗಳು ಅಮರವಾಗಿವೆ.
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