Recent Posts

पूर्वाक्षर का पूर्वाग्रह - 9 वीं कक्षा की तीसरी भाषा हिंदी पाठ्यपुस्तक प्रश्नावली


 पूर्वाक्षर का पूर्वाग्रह

अभ्यास

I. एक वाक्य में उत्तर लिखिए :

1. शहरों के नाम किसमें सिमट रहे हैं ?

उत्तर: शहरों के नाम पूर्वाक्षरों में मतलब अंग्रेजी के इनिशियलों में सिमट रहे है।

2. किन गाँवों के नामों का परिशीलन करना ठीक रहेगा?

उत्तर: संकोच-प्रक्रिया की बलि बने हुए कुछ गाँवों के नामों का परिशलिन करना ठीक रहेगा।

3. हेमावती नदी कहाँ बहती है ?

उत्तर: हेमावती नदी होले नरसीपुरा गाँव में बहती है।

4. लोगों के पास, किसके लिए समय नहीं है ?

उत्तर: आजकल लंबे-लंबे नाम पुकारने के लिए लोगों के पास समय नहीं है।

5. किस कारण से आज हम नाम छोटे-छोटे रख रहे

उत्तर: अंग्रेजों के कारण आज हम नाम छोटेछोटे रख रहे हैं।

6. हमें क्या त्याग करना चाहिए ?

उत्तर: अंग्रेजी वर्गों का प्रभाव हमारे नामों पर हुआ है, इसका हमें त्याग करना चाहिए।

7. इस पाठ के लेखक का पूरा नाम क्या है ?

उत्तर: इस पाठ के लेखक का नाम पी.एस.रामानुजम् ।


II. दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए :

1. टी.नरसीपुरा के संक्षिप्तीकरण के बारे में लेखक के क्या विचार हैं ?

उत्तर: तिरुमकूडलु नरसीपुर अब टी नरसीपुर बन गया है। आनेवाले समय में अगर संयोग से अंग्रेजी भाषा के हटने का सौभाग्य हुआ तो इन इनिशियलों का अर्थ ढूँढ़ना मुश्किल हो जायेगा। संशोधक कहेंगे कि ‘टी नरसीपुरा’ नाम शायद नरसीपुरा में टी (चाय) के बागान होने के कारण आया होगा।

2. करदोड्डुन पाल्या के बारे में लेखक क्या कहते हैं?

उत्तर: संकोच-प्रक्रिया का व्यंग्य करते हुए लेखक कहते है, समझ लीजिए की ‘करिदोड्डन पाल्या’ एक गाँव है। यह ‘के.डी. पाल्या’ बन जाएगा। क्रमशः वह ‘केडी पाल्य’ में रूपांतरित हो जाएगा और गाँव को बदनाम कर देगा। आगे चलकर एक दिन संशोधक निर्णय लेंगे कि इस गाँव में ‘केडियों’ (गुंडे) के होने से यह नाम आया होगा। और इस तरह उस गाँव की निष्कलंक कीर्ति में दाग लग जाएगा।

3. इनिशियलों में सिमटे कितने गाँवों के नाम लेखक ने लिया है ? वे कौन-कौन से हैं ?

उत्तर: चिक्कनायकन हल्ली आज सी.एन. हल्ली बनगया है। चनरायपट्टणा – सी.आर. पट्टण, हेगडदेवनकोटे – एच.डी.कोटे, कालमुद्दन दोड्डी के.एम.दोड्डी, श्रवणबेलगोला एस.बी.गोला, इनिशियलों में सिमटे गाँवो के नाम लेखक ने लिए है।

4. के.आर.एस.नाम अपनी पहचान क्यों खो बैठी है?

उत्तर: अत्यंत मनोहर, सुंदर, वृंदावन गाईन्स वाला कृष्णराजसागर आज नीरस के.आर. सागर हो गया है। इसका लघुकरण बही पर नही रुका है, वह के.आर.एस. बनकर अंग्रेजी वर्णमाला के तीन अक्षरो में सिमटकर अपनी पहचान खो बैठा है।


III. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :

1. आगे आनेवाले संशोधकों को _______ट करने का काम है।

2. सबको पूर्वाक्षरों में छिपी देना बड़ा ही _______ विषय है।

3. सुबह नाम _______ करना प्रारंभ करो तो समाप्त होते-होते _______ हो जाती थी।

4. कभी-कभी तो पूरा का पूरा नाम ही _______ ! में सिकुड़ जाता है।

5. सभी _______ विद्यार्थियों की जिह्वा पर अंग्रेजी के वर्ण बनकर सुशोभित होते हैं।

उत्तर:

1. आगे आनेवाले संशोधकों को पथभ्रष्ट करने का काम है।

2. सबको पूर्वाक्षरों में छिपी देना बड़ा ही दर्दनाक विषय है।

3. सुबह नाम पुकारना करना प्रारंभ करो तो समाप्त होते-होते शाम हो जाती थी।

4. कभी-कभी तो पूरा का पूरा नाम ही अंग्रेजी वर्गों ! में सिकुड़ जाता है।

5. सभी अध्यापक विद्यार्थियों की जिह्वा पर अंग्रेजी के वर्ण बनकर सुशोभित होते हैं।


IV. डोजी मिलाइए :

1. होले नरसीपुर तिरुपति देवालय

2. बी.आर. हिल्स कृष्णराज सागर

3. टी.डी. मयूर वर्मा

4. के.अर.एस. रंगनाथ स्वामी

5. एम.वर्मा नरसिंह मंदिर

उत्तर:

1. होले नरसीपुर नरसिंह मंदिर

2. बी.आर. हिल्स रंगनाथ स्वामी

3. टी.डी. तिरुपति देवालय

4. के.अर.एस. कृष्णराज सागर

5. एम.वर्मा मयूर वर्मा


V. विलोम शब्द लिखिए :

1. अपना

2. सहज

3. नया

4. सुंदर

5. मुश्किल

6. अच्छा

7. कीर्ति

8. हानि

9. पास

10. सुबह

उत्तर:

1. अपना x पराया।

2. सहज x कठीण

3. नया x पुराना

4. सुंदर x कुरुप

5. मुश्किल x आसान

6. अच्छा x बुरा

7. कीर्ति x अपकीर्ति

8. हानि x लाभ

9. पास x दूर

10. सुबह x शाम


VI. निम्नलिखित विलोम शब्दों को सही शब्दों के साथ जोडकर लिखिए :

1. आस्तिक

2. पता

3. दिन

4. शक रात

5. उत्तीर्ण

उत्तर:

1. आस्तिक x अनुत्तीर्ण

2. पता x लापता

3. दिन x रात

4. शक रात x बेशक

5. उत्तीर्ण x नास्तिक


VI. अन्य वचन रूप लिखिए :

1. बात

2. प्रवृत्ति

3. गुंडा

4. नदी

5. दंतकथा

6. घटना

7. पुस्तक

8. देवता

उत्तर:

1. बात – बातें

2. प्रवृत्ति – प्रवृत्तियाँ

3. गुंडा – गुंडे

4. नदी – नदियाँ

5. दंतकथा – दंतकथाएँ

6. घटना – घटनाएँ

7. पुस्तक – पुस्तके

8. देवता – देवताएँ


VII. अन्य लिंग रूप लिखिए :

1. आदमी

2. नायक

3. राजा

4. देवता

5. स्वामी

6. बाप

7. अध्यापक

उत्तर:

1. आदमी – औरत

2. नायक – नायिका

3. राजा – रानी

4. देवता – देवी

5. स्वामी – स्वामिनी

6. बाप – माँ

7. अध्यापक – अध्यापिका


IX. कन्नड में अनुवाद कीजिए :

1. चिकनायकन हल्ली सी.एन. हल्ली बन गया है।

उत्तर: ಚಿಕ್ಕನಾಯಕನಹಳ್ಳಿ ಸಿ.ಎನ್. ಹಳ್ಳಿಯಾಗಿದೆ.

2. आज समयाभाव के कारण छोटे-छोटे नाम रख । रहे हैं।

उत्तर: ಈಗ ಸಮಯಾಭಾವದಿಂದ ಚಿಕ್ಕ ಚಿಕ್ಕ ಹೆಸರನ್ನು ಇಡುತ್ತಿದ್ದಾರೆ.

3. रंगनाथ स्वामी भी आर.एन.स्वामी बन गया है।

उत्तर: ರಂಗನಾಥ ಸ್ವಾಮಿ ಕೂಡ ಆರ್.ಎನ್.ಸ್ವಾಮಿ ಯಾಗಿದೆ.

4. अंग्रेजी वर्गों का प्रभाव हमारे नामों पर हुआ है।

उत्तर: ಇಂಗ್ಲಿಷ್ ಅಕ್ಷರದ ಪ್ರಭಾವ ನಮ್ಮ ಹೆಸರಿನ ಮೇಲಾಗಿದೆ.


XIII. अनुरूपता :

1. करीदोडुन पाल्या : के.डी.पाल्या :: होले नरसीपुरा : _______

2. पूर्वाक्षर : उपसर्ग शब्द :: कन्नडपन : प्रत्यय

3. ए.जेब : औरंगजेब :: एस.गुप्त : समुद्रगुप्त

4. बी.आर. हिल्स : बिलिगिरि रंगनबेट्टा :: डी.आर.दुर्ग : देवरायनदुर्गा

उत्तर:

1. करीदोडुन पाल्या : के.डी.पाल्या :: होले नरसीपुरा : _______

2. पूर्वाक्षर : उपसर्ग शब्द :: कन्नडपन : _______

3. ए.जेब : औरंगजेब :: एस.गुप्त : _______

4. बी.आर. हिल्स : बिलिगिरि रंगनबेट्टा :: डी.आर.दुर्ग : _______


भाषा ज्ञान

I. की की सहायता से वाक्य पूर्ण कीजिए :

1. मेरी बेटी ने आई.ए.एस. ____ परीक्षा ली है।

2. छात्रों ____ कोई गलती नहीं थी।

3. कर्नाटक ____ राजधानी बेंगलूरु है।

4. रमेश ने चोरी नहीं ____ थी।

5. शिल्पा ने गलती नहीं ____ ।

उत्तर:

1. मेरी बेटी ने आई.ए.एस. की परीक्षा ली है।

2. छात्रों की कोई गलती नहीं थी।

3. कर्नाटक की राजधानी बेंगलूरु है।

4. रमेश ने चोरी नहीं की थी।

5. शिल्पा ने गलती नहीं की ।


पूर्वाक्षर का पूर्वाग्रह 

पूर्वाक्षर का पूर्वाग्रह पाठ का सारांश –

आज के जमाने में शहरों के नाम अंग्रेजी के इनिशियलों में पहचाने जाने लगे है। अपना कन्नड पन, अपनी । पहचान, अपना अस्तित्व खो रहा है। पहले व्यक्तियों के नाम से पहले इनिशियल लगता था। आज दीर्घ का लघु बनाने की प्रवृत्ति एक फैरान बन । गई है। या फिर लोकोपयोगी विभागवालों ने गाँवों। शहरों के नाम को छोटे फलकों में बदला होगा।. संकोच प्रक्रिया की बलि बने हुए गाँवों के उदाहरण हैं। जैसे तिरूमकूडलु नरसीपुर अब टी नरसीपुर बन गया है। हमारे देश से अंग्रेजी भाषा के हट जाने से इन इनिशियलों का अर्थ ढूँढना मुश्किल हो जाएगा। अनेक खोजें करने के बार विचित्र परिणाम प्राप्त होंगे। करीदोडुन पाल्या नामक गाँव का के.डी. पाल्या संक्षिप्त रूप बन जाएगा। इसका अर्थ बहुत ही विचित्र और गाँव को बदनाम कर देनेवाला होगा। अंग्रेजी पूर्वातरों से होनेवाली हानि दुखदायक है। होलेनरसीपुरा गाँव का नाम एच.एन.पुरा बन गया है। इस गाँव के बारे में दंतकथाएँ भी बनेगी। सब अंग्रेजी अद्याक्षरों का सहारा लेकर अपना अस्तित्व खोए जा रहे है। 

हम इसे अपना बदनसीब समझेंगे। चिक्कनायकन हल्ली का सी.एन. हल्ली बन गया है। चेन्नरायपट्टणा सी.आर. पट्टणा, हेग्गडदेवन कोटे एच.डी. कोटे बना दिया। इन प्रदेशों पर जिन राजाओं ने देवताओं ने राज किया उन सबको पूर्वाक्षरों में द्विपा दिया गया है। यह बडी दर्दनाक बात है। कालमुद्दनदोड्डी का के.एम. दोड्डी बन गया है, वैसे श्रवणबेलगोला एस.बी. गोला बन जाएगा विजयपुरा वि.पुरा बन जाएगा। इसका मतलब आजकल लंबे-लंबे नाम पुकारने के लिए लोगों के पास समय नहीं है। समय अभाव के कारण छोटे-छोटे नाम रखने लगे है। नामों को इसतरह विकृत बना दिया है कि हम इस विषय में अंग्रेजों में भी आगे बढ़ गए है। झूठो है यह जग बाते सिद्धांत के अनुसार आद्य नामों को अदृश्य बना रहे है। आगे चलकर हमारे सारे व्यवहारों में ह्रस्व की अभिव्यक्ति को स्टाइल चल पडेगा। जैसे टी.डी. तिरूपति देवालय वि.सी. वेंकटाचलपति एम.सी.आर. मेलुकोटे, चलुवराय स्वामी, वि.ज़ी. स्वामी वेणु गोपाल स्वामी। बिलीगिरिरंगनबेट्टा बी.आर.हिंल्स बनकर पूरा अंग्रेजी बन गया है। डी.आर. दुर्गा देवरायन दुर्गा। वहाँ रहनेवाले स्वामीजी है।

वाई.एन. स्वामी योगानरसिंह स्वामी

बी.एन.स्वामी भोगानरसिंह स्वामी।

नरसीपुर में रहनेवाले स्वामी जी.एन. स्वामी – गुंजा नरसिंह स्वामी। इसतरह नाम का सिर्फ लघुकरण नहीं हुआ बल्की’ उसका अंग्रेजी में नामांकरण हो गया है। कृष्णराज सागर के.आर. सागर। श्रीरंगपट्टण एस.आर. पट्टणा, रंगनाथ स्वमी आर.एन.स्वामी।

व्यक्तियों का नाम का पुकरणहो जाए यह समझ सकते है लेकिन गाँव स्थानों के नाम का इनिशियलों में ढालना ठीक नहीं है। व्यक्ति का पूरा नाम लेकर पुकारना साहस का काम बन गया है। इस संदर्भ में एक घटना लेखर के साथ पटित हुई वो ऐसी आय.पी.एस. उत्तीर्ण होकर आगे की पढाई के लिए माऊंट आबू, शिक्षा अकादमी में चले गए थे। सबको अपना अपना नाम पूरा बनाना था। लेखक ने अपना नाम पी.एस. प्रतिबादी भयंकर संपत्कुमाराचार्य रामानुजम् बनाया। अफसर ने उनको उनका नाम ऑफिस में आकर लिखने के लिए कहा। अभितक इस पद्धति को हमने पाठ्य-पुस्तकों के लिए नही अपनाया। विशेष रूप से इतिहास के पाठ्यपुस्तक के लिए। नहीं तो राणाप्रतापसिंह आर.पी. सिंह बनजाएगा।

औरंगजेब ए.जेब. समुद्रगुप्त एस.गुप्त और चंद्रगुप्त सी.गुप्त और अमात्य राक्षस ए.राक्षस बनेगा। पुलिकेशी पी.केशी. और मयूरवर्मा एम.वर्मा बनेगा। इसीतरह पाठशाला कॉलेजों के नाम अंग्रेजी वर्णो में सिकुए जाता है। हमारे नामों पर अंग्रेजी वर्णो का प्रभाव पडा है। लेकिन कन्नड के उन सुंदर नामों को संपूर्ण रूप में प्रयोग करना ही ठीक होगए इससे हमारा उच्चारण में वृद्धि होगी और नाम भी बचेंगे।


You Might Like

Post a Comment

0 Comments