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जय-जय भारत माता - 9 वीं कक्षा की तीसरी भाषा हिंदी पाठ्यपुस्तक प्रश्नावली


 जय-जय भारत माता

अभ्यास

I. एक वाक्य में उत्तर लिखिए :

1. जय-जय भारत माता कविता के कवि कौन हैं ?
उत्तर: जय-जय भारत माता कविता के कवि मैथिली शरण गुप्त हैं।

2. गुप्त जी को कौन-सी उपाधि मिली है ?
उत्तर: गुप्त जी को साहित्यिक सेवा के सम्मानार्थ सन् 1961 ई. में पद्म भूषण उपाधि मिली है।

3. कवि किस देवी की वंदना कर रहे हैं ?
उत्तर: कवि भारतमाता की वंदना कर रहे हैं।

4. हिमालय रूपी हृदय में क्या भरा है ?
उत्तर: हिमालय रूपी हृदय में स्नेह भरा है।

5. पानी कैसे फूटा आता है ?
उत्तर: पानी सौ-सौ स्त्रोतों से बह-बहकर आता है।

6. पानी में क्या खिले हैं ?
उत्तर: पानी में कमल खिले हैं।

7. सुन्दर भाव कहां पले हैं ?
उत्तर: भारतमाता की धानी आँचल में सुन्दर भाव पले है।

II. दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए :

1. हिमालय के बारे में कवि की भावना क्या है?
उत्तर: हिमालय के बारे में कवि की भावना है। कि – हिमालय सुन्दर और विशाल है। हिमालय के हृदय में स्नेह भरा है। हिमालय का हृदय विशाल है। जहाँ सब को सुख मिलता है।

2. दिल में आग दबाकर का मतलब क्या है ?
उत्तर: ‘दिल में आग दबाकर’ का मतलब है कि अपने दिल में ही कितने ही दुःख भरे होते हैं। इसलिए कवि कहता है कि अपने दिल में दु:ख की आग यानी आग दु:ख के समान है उन्हें मन में ही रखकर हमें सुख शांति यानी भारत में सब तरह हरा भरा देता है।

3. कवि ऊँचा हिया क्यों कहते हैं ?
उत्तर: कवि ऊँचा हिया इसलिए कहते हैं कि – हिमालय का शिखर बहुत ऊँचा है। इसके समान भारतमाता का हृदय बहुत ऊँचा या श्रेष्ठ और विशाल है।

4. हमें मिलजुल कर कौन-सा गाना गाना चाहिए ?
उत्तर: हमें भारतमाता का यश का गाना गाना चाहिए। भारत में सब लोगों में एकता की भावना सदा रहे और इसी एकता से हमें आपस में मिलकर भारतमाता की यश या कीर्ति का गाना गाना चाहिए।

III. खाली स्थान भरिए :
1. भारत का हिया ………… है।
2. दिल में ……….. दबाकर रखता हमको ………. ।
3. ………….. चिरकाल रहें।
उत्तर:
1. भारत का हिया ऊँचा है।
2. दिल में आग दबाकर रखता हमको हरा-भरा ।
3. चंद्र-सूर्य चिरकाल रहें।

IV. नमूने के अनुसार तुकांत शब्द लिखिएः
उदा : स्नेह-भरा हरा-भरा
1. आता – ग़ता

2. पले – फले

3. नाता – माता

V. इस कविता में बह-बहकर पानी आताका प्रयोग हुआ है। उसी प्रकार निम्नलिखित शब्दों में से सही शब्द चुनकर वाक्य पूर्ण कीजिए :
(गिर-गिरकर, मिट-मिटकर, सुन-सुनकर, देख-देखकर) |
1. बालक ……………… सीखता है।
2. भाषा …………….. बोली जाती है।
3. मेघ ……………. बरसते हैं।
4. बच्चा ……………….. चलता है।
उत्तर:
1. बालक मिट-मिटकर सीखता है।
2. भाषा सुन-सुनकर बोली जाती है।
3. मेघ गिर-गिरकर बरसते हैं।
4. बच्चा देख-देखकर चलता है।

VI. इस कविता की प्रथम आठ पंक्तियों को कंठस्थ कीजिए।

हरे खेत लहरें नद-निर्झर
जीवन शोभा उर्वर
विश्व कर्मरत कोटि बाहुकर
अगणित पग ध्रुव पथ पर
जय जन भारत...

VII. अनुरूपता :
1. सागर : विशाल :: हिमालय : ______
2. अंधकार : अंधेरा :: पवित्र : ______
3. आम : धरती :: कमल : ______
4. सूर्य : सूरज :: चंद्र : ______
उत्तर:
1. सागर : विशाल :: हिमालय : ऊँचा
2. अंधकार : अंधेरा :: पवित्र : पावन
3. आम : धरती :: कमल : पानी
4. सूर्य : सूरज :: चंद्र : चाँद

जय-जय भारत माता 
जय-जय भारत माता कविता का सारांश:
कवि कहता है कि भारतमाता की जय हो। तुम्हारा हृदय हिमालय जैसा विशाल है। उसमें बहुत स्नेह भरा है। तुम अपने दिल में अपनी दुःख की आग छिपाकर हमें सुखी रखती हो। यहाँ पर नदियों की धाराएँ बहकर पानी फूट आता है।
भारतमाता, तेरे पानी में कमल सदा खिले और इस धरती पर आम का फल है। तेरी हल्की हरियाली, आँचल में कितने ही सुन्दर, मधुर भावनायें पले हैं।तेरी इस धरती में हमेशा लोग भाई-भाई की तरह मिले रहे। उनमें हमेशा एकता की भावना रहे। कभी यह भाई का नाता टूट न जाय।
भारतमाता, तेरी लाल दिशा में हमेशा चंद्र-सूर्य अमर रहे। तेरे पवित्र आँगन में यानी भारत में हमेशा लोगों के मन के अज्ञान का अंधकार हटकर सबको ज्ञान की ज्योति मिले। हम सब मिलजुलकर तेरी यश या कीर्ति की गाथा गाते रहे। हमेशा तेरी जय हो। इस प्रकार कवि मैथिलीशरण गुप्त अपनी सुन्दर काव्य शैली में भारतमाता की कीर्ति और महत्व को बताया है।

ಜಯ-ಜಯ ಭಾರತಮಾತ ಕನ್ನಡದಲ್ಲಿ ಸಾರಾಂಶ:

ಭಾರತ ಮಾತೆಗೆ ಜಯವಾಗಲಿ ಎಂದು ಕವಿ ಮೈಥಿಲಿ ಶರಣಗುಪ್ತರು ಹೇಳುತ್ತಾರೆ. ಭಾರತಮಾತೆಯ ಹೃದಯ ಹಿಮಾಲಯ ಪರ್ವತದಂತೆ ವಿಶಾಲವಾಗಿದೆ. ಆ ಹೃದಯದಲ್ಲಿ ಸ್ನೇಹ-ಪ್ರೀತಿ ತುಂಬಿದೆ. ಭಾರತಮಾತೆಯು ತನ್ನ ಹೃದಯದಲ್ಲಿ ದುಃಖದ ಅಗ್ನಿಯನ್ನು ಅಡಗಿಸಿಕೊಂಡು ನಮಗೆ ಸುಖ ಶಾಂತಿಯನ್ನು ನೀಡುತ್ತಿದ್ದಾಳೆ.

ಭಾರತಮಾತೆ ನಿನ್ನ ನೀರಿನಲ್ಲಿ ಕಮಲಗಳು ಅರಳಿವೆ ಹಾಗೂ ಈ ಭೂಮಿಯ ಮೇಲೆ ಮಾವಿನ ಹಣ್ಣುಗಳು ಪಕ್ವವಾಗಿವೆ. ನಿನ್ನ ತಿಳಿಹಸಿರು ಸೆರಗಿನಲ್ಲಿ ಎಷ್ಟೋ ಸುಂದರ ಹಾಗೂ ಮಧುರ ಭಾವನೆಗಳು ಬೆಳೆದಿವೆ. ಈ ನಿನ್ನ ಮಡಿಲಿನಲ್ಲಿ ಜನರು ಅಣ್ಣ-ತಮ್ಮಂದಿರಂತೆ ಕೂಡಿಕೊಂಡು ಬಾಳಲಿ. ಅವರಲ್ಲಿ ಎಂದಿಗೂ ಈ ಸಹೋದರತ್ವದ ಭಾವನೆ, ಸಂಬಂಧ ಮುರಿಯದಿರಲಿ ಎಂದು ಕವಿಯು ಕೇಳುತ್ತಿದ್ದಾರೆ.

ಭಾರತಮಾತೆ ನಿನ್ನ ಕೆಂಪು ದಿಕ್ಕಿನಲ್ಲಿ ಚಂದ್ರ- ಸೂರ್ಯರು ಯಾವಾಗಲೂ ಅಮರವಾಗಿರಲಿ. ನಿನ್ನ ಪವಿತ್ರ ಅಂಗಳದಲ್ಲಿ ಜನರು ಮನದ ಅಜ್ಞಾನದ ಅಂದ ಕಾರ ದೂರವಾಗಿ ವಿಜ್ಞಾನದ ಜ್ಯೋತಿ ಬೆಳಗಲಿ. ನಾವೆಲ್ಲರೂ ಕೂಡಿ ಒಂದಾಗಿ ನಿನ್ನ ಕೀರ್ತಿ ಗಾನವನ್ನು ಹಾಡುವೆವು. ನಿನಗೆ ಯಾವಾಗಲೂ ಜಯವಾಗಲಿ ಭಾರತಾಂಬೆಗೆ ಜಯ- ಜಯವಾಗಲಿ,
ಈ ರೀತಿಯಾಗಿ ಕವಿ ಮೈಥಿಲಿ ಶರಣ ಗುಪ್ತರು ತಮ್ಮ ಸುಂದರವಾದ ಕಾವ್ಯ ಶೈಲಿಯಲ್ಲಿ ಭಾರತಮಾತೆಯ ಕೀರ್ತಿ, ಮಹಿಮೆಯನ್ನು ವರ್ಣಿಸಿದ್ದಾರೆ.
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