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सूर-श्याम - 10 वीं कक्षा की तीसरी भाषा हिंदी पाठ्यपुस्तक प्रश्नावली


  सूर-श्याम

I. एक वाक्य में उत्तर लिखिए :

1. सूर-श्याम पद के रचयिता कौन हैं ?

उत्तर: सूर-श्याम पद के रचयिता सूरदास हैं।

2. कृष्ण की शिकायत किसके प्रति है ?

उत्तर: कृष्णा की शिकायत भाई बलराम के प्रति हैं।

3. यशोदा और नंद का रंग कैसा था ?

उत्तर: यशोदा और नंद का रंग गोरा था।

4. चुटकी दे-देकर हँसनेवाले कौन थे ?

उत्तर: चुटकी दे-देकर हँसनेवाले सब ग्वाला मित्र थे ।

5. यशोदा किसकी कसम खाती है ?

उत्तर: यशोदा गोधन की कसम खाती है।

6. बालकृष्ण किससे शिकायत करता है ?

उत्तर: बालकृष्ण माता यशोदा से शिकायत करता है।

7. बलराम के अनुसार किसे मोल लिया गया है ?

उत्तर: बलराम के अनुसार कृष्ण को मोल लिया गया है।

8. बालकृष्ण का रंग कैसा था ?

उत्तर: बालकृष्ण का रंग काला था।


II. दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए:

1. कृष्ण बलराम के साथ खेलने क्यों नहीं जाना चाहता?

उत्तर: भाई बलराम कृष्ण को बहुत चिढाता था कि यशोदा ने उसे जन्म नहीं दिया है बल्कि मोल लिया है। उसके माता पिता कौन हैं ? उसका रंग काला क्यों है? इसी गुस्से के कारण कृष्ण बलराम के साथ खेलने नहीं आना चाहता था।

2. बलराम कृष्ण के माता-पिता के बारे में क्या कहता है ?

उत्तर: बलराम कृष्ण के माता-पिता के बारे में क्या कहता है कि – उसके माता पिता कौन हैं ? नंद और यशोदा तो गोरे हैं प कृष्ण का रंग क्यों काला हा? माता-पिता ने उसे मोल लिया है।

3. कृष्ण अपनी माता यशोदा के प्रति क्यों नाराज है?

उत्तर: कृष्ण अपनी माता यशोदा के प्रति इसलिए नाराज है कि – माँ ने केवल कृष्ण को ही मारना सीखी है। वह भाई पर कभी गुस्सा नहीं करती है।

4. बालकृष्ण अपनी माता से क्या-क्या शिकायतें करता

उत्तर: बालकृष्ण अपनी माता से शिकायत करता है कि – “मुझे भैया बहुत चिढ़ाता है। तू मोल का लिया हुआ है, यशोदा का पुत्र नहीं है। तुम्हारे माता-पिता कौन हैं? नंद-यशोदा तो गोरे हैं, तू काला कैसे है? माँ, तू केवल मुझे ही मारती है, बलदाऊ को डाँटती तक नहीं। इसकी हँसी-मजाक सुनकर सब ग्वाल मित्र चुटकी बजाकर मुझ पर हँसते हैं।”

5. यशोदा कृष्ण के क्रोध को कैसे शांत करती है ?

उत्तर: यशोदा माता कृष्ण से कहती है कि हे कृष्ण। सुनो। बलराम जन्म से ही चुगलखोर है। मैं गोधन की कसम खाकर कहती हैं, मैं ही तेरी माता और तुम मेरे पुत्र हो। इस प्रकार यशोदा कृष्ण के क्रोध को शांत करती है।


III. चार-छः वाक्यों में उत्तर लिखिए:

1. पद का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर: कृष्ण अपनी माँ से शिकायत करता है कि भाई उसे बहुत चिढाता है कि यशोदा माँ ने उसे जन्म नहीं दिया है बल्कि मोल लिया है। इसी गुस्से के कारण कृष्म बलराम के साथ खेलने नहीं जाता। वह बार बार कृष्ण से पूछता है कि उसके माता पिता कौन हैं ? नंद और यशोदा तो गोरे हैं लेकिन उसका रंग क्यों काला है ? बलराम की ऐसी हँसी-मजाक सुनकर कृष्ण को सब ग्वाला मित्र चुटकी बजा-बजाकर हँसते हैं। उन्हें बलराम ने ही ऐसा करना सिखाया है। कृष्ण माँ से कहता है कि माँ सिर्फ उसी को ही मारना सीखी है। वह कभी भाई पर गुस्सा नहीं करती। कृष्ण के क्रोधित मुख और बातों को सुनकर यशोदा माता खुश हो जाती है। वह कृष्ण को समाधान करती है कि बलराम जन्म से दृष्ट है। गोधन की कसम, वह ही कृष्ण की माता और कृष्ण उसका पुत्र है।


IV. पद्यभाग पूर्ण कीजिए :

1. गोरे नंद …………………… सरीर।

………………………….. बलबीर ।।

उत्तर: गोरे नंद जसोदा गोरी, तुम कत स्याम सरीर।

चुटकी है है हँसत ग्वाल सब सिखे देत बलबीर ।।

2.सुनहु कान्ह ………………… ।

………………………… तू पूत।।

उत्तर: सुनहु कन्ह बलभद्र चबाई, जनमत की हो धूत।

सूर स्याम मोहि गोधन की सौ, हैं माता तू ॥


V. अनुरूपता :

1. बलभद्र : बलराम :: कान्ह : ——

2. जसोदा : माता :: नंद : ———

3. रिझता : मोहित होना :: खिजाना : ——–

4. बलबीर : बलराम :: जसोदा : ———-

उत्तर:

1. कृष्ण

2. पिता

3. चिढाना

4. यशोदा


VI. जोडकर लिखिए :

1. सूरदास का जन्म कृष्ण भक्ति शाखा

2. सगुण भक्तिधारा की सन् 1540 को हुआ

3. उत्तर प्रदेश का रूनकता सन् 1642 को हुई

4. सूरदास जी की मृत्यु सूर का जन्मस्थान

उत्तर – जोडकर लिखना

1. सूरदास का जन्म सन् 1540 को हुआ

2. सगुण भक्तिधारा की सूर का जन्मस्थान

3. उत्तर प्रदेश का रूनकता कृष्ण भक्ति शाखा

4. सूरदास जी की मृत्यु सन् 1642 को हुई


VII. सही शब्द चुनकर लिखिए : (चुगलखोर, गोरी, श्याम, चुटकी, बाल-लीला)

1. जसोदा – गोरी

2. कृष्ण – श्याम

3. ग्वाल मित्र – चुटकी

4. बलराम -चुगलखोर

5. कृष्ण की – बाल-लीला


VIII. आधुनिक रूप लिखिए :

उदा : मैया – माता

1. मोहिं – मुझे

2. मोसों – मुझसे

3. रीर – क्रोध के कारण

4. सरीर – शरीर

5. सिखै – सिखाना

6. जसुमति यशोमती

7. धूत – धूर्त/दृष्ट

8. कान्ह – कृष्ण

9. पूत – पुत्र

10. जनमत – जन्म से


सूर-श्याम 

सूर-श्याम कवि परिचय :

सूरदास (सन् 1540-1642): भक्त कवि सूरदास हिन्दी साहित्याकाश के सूर्य माने जाते हैं। इन्हें भक्तिकाल की सगुण भक्तिधारा की कृष्णभक्ति-शाखा का प्रवर्तक माना जाता है। इनका जन्म उत्तर प्रदेश के रुनकता गाँव में सन् 1540 को हुआ था। इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं – ‘सूरसागर’, ‘सूरसारावली’ एवं ‘साहित्यलहरी’। इनकी मृत्यु सन् 1642 को हुई। इनके काव्यों में वात्सल्य, श्रृंगार तथा भक्ति का त्रिवेणी संगम हुआ है।

पद का आशय :

बच्चे स्वभाव से भोले होते हैं। वे हमेशा अपने माता-पिता से अपने भाई, बहन और मित्रों की कुछ-न-कुछ शिकायत करते रहते हैं। उनका बाल सहज स्वभाव देखकर बड़ों को हँसी आती है और उन्हें पुचकारकर सांत्वना देते हैं। माँ और बेटे के ऐसे सहज संबंध की कल्पना कर सूरदास जी ने अपने इस पद में उसका सुन्दर चित्रण किया है।

पद का सारांश :

सूरदास जी ने प्रस्तुत पद में कृष्ण की बाल-लीला का बड़ा ही मार्मिक चित्रण किया है। कृष्ण माता से अपने बड़े भाई बलराम की शिकायत करते हुए कहते हैं कि हे माँ, बड़ा भैया मुझे सदा चिढ़ाता रहता है और अन्य सखाओं को भी सिखाता है। “तेरे माता-पिता गोरे हैं, तू काला क्यों? वे तेरे मातापिता नहीं हैं,” जैसी बातें कहकर मुझे नाराज करता है और तू जो है, सदा मुझे ही डाँटती है, बलदाऊ को कुछ नहीं कहती। इसीलिए मैं खेलने नहीं जाता।

कृष्ण की इन मीठी-मीठी और भोली बातों को सुनकर माता यशोदा को हँसी आ जाती है। वह अपने लाल को गले से लिपटाकर कहती है – “मैं गौमाता की सौगंध खाकर कहती हूँ कि मैं ही तुम्हारी माता हूँ और तू ही मेरा पुत्र है।”

 

ಸೂರ - ಶ್ಯಾಮ ಕನ್ನಡದಲ್ಲಿ ಸಾರಾಂಶ:

ಈ ಪದ್ಯದಲ್ಲಿ ಕವಿ ಸೂರ ದಾಸರು ಕೃಷ್ಣನ ಬಾಲ ಲೀಲೆಯ ವರ್ಣನೆಯನ್ನು ಮಾಡುತ್ತಾ ಆತನ ಸ್ವಭಾವ, ಮುಗ್ಧತೆ ಮತ್ತು ತಾಯಿ ಯಶೋಧರೆಯ ವಾತ್ಸಲ್ಯದ ಸುಂದರ ಚಿತ್ರಣವನ್ನು ಚಿತ್ರಿಸಿದ್ದಾರೆ.

ಇಲ್ಲಿ ಬಾಲಕೃಷ್ಣನು ಅಣ್ಣ ಬಲರಾಮನ ಬಗ್ಗೆ ದೂರನ್ನು ತಾಯಿಗೆ ಹೇಳುತ್ತಿದ್ದಾನೆ. ಅಣ್ಣನು ನನ್ನನ್ನು ತುಂಬಾ ಛೇದಿಸುತ್ತಾನೆ ಹಾಗೂ ಕಾಡಿಸುತ್ತಾನೆ. ಯಶೋಧ ಮಾತೆಯು ನನಗೆ ಜನ್ಮ ನೀಡಿಲ್ಲವಂತೆ, ಆದರೆ ಅವಳು ನನ್ನು ಕೊಂಡುಕೊಂಡಿದ್ದಾಳಂತೆ. ಇದೇ ಕೋಪದ ಕಾರಣದಿಂದ ಆತನ ಸಂಗಡ ನಾನು ಆಡಲು ಹೋಗುವುದಿಲ್ಲ ಎಂದು ಕೃಷ್ಣ ಯಶೋಧ ಮಾತೆಗೆ ಹೇಳುತ್ತಾನೆ. ಆತನು ನಂದ ಮತ್ತು ಯಶೋಧ ಬಿಳಿಯ ಬಣ್ಣದವರು ಆದರೆ ನಿನ್ನ ಶರೀರವೇಕೆ ಕಪ್ಪಾಗಿದೆ? ಎಂದು ಕೇಳುತ್ತಾನೆ. ಆತನು ಇಂತಹ ನಗು ಚೇಷ್ಟೆ ಕೇಳಿ ನನ್ನ ಎಲ್ಲಾ ಗೆಳೆಯರು ಲಟ್ಟಿಕೆ ಹೊಡೆದು ಹೊಡೆದು ನಗುತ್ತಾರೆ. ಅವರಿಗೆ ಬಲರಾಮನೆ ಹೀಗೆ ಮಾಡಲು ಕಲಿಸಿದ್ದಾನೆ ಎಂದು ಕೃಷ್ಣನು ತಾಯಿ ಯಶೋಧರಿಗೆ ದೂರು ಹೇಳುತ್ತಾನೆ.

ಅಮ್ಮಾ, ನೀನು ಕೇವಲ ನನಗೆ ಹೊಡೆಯುವುದನ್ನು ಕಲಿತಿರುವೆ ಮತ್ತು ಅಣ್ಣನ ಮೇಲೆ ಎಂದಿಗೂ ಸಿಟ್ಟು ಮಾಡಿಕೊಳ್ಳುವುದಿಲ್ಲ ಎಂದು ತಾಯಿ ಯಶೋಧರೆಗೆ ಕೃಷ್ಣನು ಹೇಳುತ್ತಾನೆ. ತನ್ನ ಅಣ್ಣನ ಬಗ್ಗೆ ಸಿಟ್ಟಾಗಿರುವ ಮತ್ತು ಗೆಳೆಯರಿಂದ ಅಪಮಾನಿತನಾದ ಕೃಷ್ಣನ ಕೋಪ ತುಂಬಿದ ಮುಖ ಕಂಡು ಆತನ ಮಾತುಗಳನ್ನು ಕೇಳಿ ಯಶೋದ ಆನಂದಿತಳಾಗುತ್ತಾಳೆ. ಕೃಷ್ಣನೇ ಕೇಳು ಬಲರಾಮನು ಹುಟ್ಟಿನಿಂದಲೇ ದುಷ್ಟನಾಗಿದ್ದಾನೆ. ನಾನು ಗೋವುಗಳ ಆಣೆಯಾಗಿಯೂ ಹೇಳುತ್ತೇನೆ. ನಾನು ನಿನ್ನ ತಾಯಿ ಮತ್ತು ನೀನು ನನ್ನ ಮಗನು ಎಂದು ತಾಯಿಯ ಶೋಧನೆಯ ಕೃಷ್ಣನಿಗೆ ಹೇಳುತ್ತಾಳೆ.

ಈ ಪದ್ಯದಲ್ಲಿ ಸೂರದಾಸರು ಬಾಲ್ಯಕೃಷ್ಣನ ಮುಗ್ಧತನ ಮತ್ತು ಯಶೋಧಾಳ ವಾತ್ಸಲ್ಯದ ಮಾರ್ಮಿಕ ಚಿತ್ರಣವನ್ನು ನೀಡಿದ್ದಾರೆ.

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