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महिला की साहस गाथा - 10 वीं कक्षा की तीसरी भाषा हिंदी पाठ्यपुस्तक प्रश्नावली


  महिला की साहस गाथा

I. एक वाक्य में उत्तर लिखिए :

1. बिछंद्री पाल को कौन-सा गौरव प्राप्त हुआ है ?

उत्तर: बिछंद्री पाल को एवरेस्ट की चोरी पर चढनेवाली पहली भारतीय महिला होने का गौरव प्राप्त है।

2. बिछंद्री के माता-पिता कौन थे ?

उत्तर: बिछंद्री की माता हंसादेई नेगी और पिता किशनपाल सिंह थे।

3. बिछंद्री ने क्या निश्चय किया ?

उत्तर: बिछंद्री ने निश्चय किया कि वह अपने भाई जैसे पहाड़ों पर चढ़ेगी।

4. बिछंद्री ने किस ग्लेशियर पर चढाई की ?

उत्तर: बिछंद्री ने गंगोत्री ग्लेशियर पर चढाई की।

5. सन् 1983 में दिल्ली में कौन-सा सम्मेलन हुआ था ?

उत्तर: सन् 1983 में दिल्ली में हिमालय पर्वतारोहियों का सम्मलन हुआ।

6. एवरेस्ट पर भारत का झंडा फहराते समय पाल केसाथ कौन थे ?

उत्तर: एवरेस्ट पर भारत का झंडा फहराते समय पाल के साथ पर्वतारोही अंगदोरजी थे।

7. कर्नल का नाम क्या था ?

उत्तर: कर्नल का नाम खुल्लर था।

8. ल्हाटू कौन-सी रस्सी लाया था ?

उत्तर: ल्हाटू नायलॉन की रस्सी लाया था।

9. बिछंद्री ने थैले से कौन-सा चित्र निकाला ?

उत्तर: बिछंद्री ने थैले से दुर्गा माँ का चित्र निकाला।

10. कर्नल ने बधाई देते हुए बिछंद्री से क्या कहा ?

उत्तर: कर्नल ने बधाई देते हुए बिछंद्री से कहा देश को तुम पर गर्व है।

11. मेजर का नाम क्या था ?

उत्तर: मेजर का नाम कुमार था।

12. बिछंद्री को भारतीय पर्वतारोहण संघ ने कौन-सा पदक देकर सम्मान किया ?

उत्तर: बिछंद्री को भारतीय पर्वतारोहण संघ ने स्वर्णपदक देकर सम्मान किया।


II. दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए :

1. बिछंद्री पाल के परिवार का परिचय दीजिए।

उत्तर: बिछेदी का जन्म एक साधारण भारतीय परिवार में हुआ था। पिता किशनपाल सिंह तथा माता हंसादेई नेगी की पाँच संतानों में बिकेंद्री तीसरी संतान है।

2. बिछंद्री का बचपन कैसे बीता ?

उत्तर: बिछंद्री का बचपन संघर्षमय था। उसे रोज पाँच किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाना पड़ता था। सिलाई काम सीखा और सिलाई करके पढाई का खर्चा जुटाया। इस तरह संस्कृत में एम.ए. तथा बी.एड. तक की शिक्षा प्राप्त की।

3.बिछंद्री ने पर्वतारोहण के लिए किन-किन चीजों का उपयोग किया ?

उत्तर: बर्फ काटने के लिए फावड़े का इस्तेमाल किया। चढ़ाई चढ़ने के लिए नायलॉन की रस्सी का उपयोग किया। इनके अलावा ऑक्सीजन की कमी को पूरा करने के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर का भी उपयोग किया।

4. एवरेस्ट की चोटी पर पहुँचकर बिछंद्री ने क्या किया?

उत्तर: एवरेस्ट की चोटी पर पहुँचकर बिछंद्री ने खुद के लिए स्थान सुरक्षित किया। अपने घुटनों के बल बैठी। बर्फ को अपने माथे लगाकर सागरमये का ताज का चुंबन लिया। बाद में हनुमान चालीसा और माँ दुर्गा की पूजा, की।


III. चार-पाँच वाक्यों में उत्तर लिखिए:

1. बिछंद्री ने पहाड़ पर चढने की तैयारी किस प्रकार की ?

उत्तर: बिकेंद्री ने पहाड़ पर चढने के लिए दो दल बनाए गए। सुबह हल्का नाश्ता करने के बाद साढे पाँच बजे तंबू से निकल पडे। अंग दोरजी के साथ बगैर रस्सी के ही चढाई की। वहाँ जमी हुई बर्फ काटने के लिए फावडे का इस्तेमाल किया। कभी नायलॉन रस्सी के सहारे चढाई की। ऑक्सीजन की आपूर्ति रेगुलेटर पर बढाकर कठिन चढाई आसान बनाई।

2. दक्षिणी शिखर पर चढते समय बिछंद्री के अनुभव के बारे में लिखिए।

उत्तर: बजेंद्री ने अंग दोरजी के साथ सुबह के नाश्ते के बाद चढ़ाई प्रारंभ की। शुरू में बिना रस्सी के ही चढ़ाई की। बर्फ काटने के लिए फावड़े का इस्तेमाल भी करना पड़ा क्योंकि बर्फ सीधी, और ढलाऊ चट्टाने थी। आगे की चढ़ाई नायलॉन की रस्सी के सहारे की। दक्षिणी शिखर के ऊपर तेज हवा के झोंके भुरभुरे बर्फ के कणों को चारो तरफ उड़ा रहे थे। उसने देखा कि थोडी दूर तक कोई ऊँची चढ़ाई नहीं है। ढलान एकदम सीधी नीची चली गई थी। उसकी साँस एकदम रुक गई थी। उसको लगा कि सफलता बहुत नज़दीक है।

3. प्रस्तुत पाठ से क्या संदेश मिलता है ?

उत्तर: इस पाठ से बच्चे साहस गुण, दृढ़-निश्चय, अथक परिश्रम, मुसिबतों का सामना करना इत्यादि आदर्श गुण सीख सकते हैं। यह जानकारी प्राप्त कर सकते हैं कि महिलाएँ भी साहस प्रदर्शन में पुरुषों से कुछ कम नहीं है। दृढ़-निश्चय, साहस, धैर्य द्वारा लक्ष्य प्राप्त करने का तत्व समझते हैं।


IV. जोडकर लिखिए :

1. गंगोत्री ग्लेशियर की चढाई सन् 1984

2. पर्वतारोहियों को सम्मेलन सन् 1985

3. एवरेस्ट की चोटी पर पहुँचना सन् 1982

                                        सन् 1983

उत्तर – जोडकर लिखना

1. गंगोत्री ग्लेशियर की चढाई सन् 1982

2. पर्वतारोहियों को सम्मेलन सन् 1983

3. एवरेस्ट की चोटी पर पहुँचना सन् 1984


V. अनुरूप शब्द लिखिए :

1. पहाड : गिरि :: चोटी : ——

2. कालानाग : पर्वत :: गंगोत्री : ——–

3. कर्नल : खुल्लर :: मेजर : ——

4. चाय : गरम :: बर्फ : ——-

5. पहले हिमालय पर्वतारोही पुरुष : तेनसिंग नोर्गे :: पहली एवरेस्ट पर्वतारोही महिला : ——–

उत्तर:

1. शिखर

2. ग्लेशियर

3. कुमार नी

4. ठंडी

5. बिछंद्रीपाल


VI. स्त्रीलिंग शब्द लिखिए:

पुल्लिंग – स्त्रीलिंग

1. बाप – माँ

2. पुरुष – स्त्री

3. भाई – बहन

4. बेटा – बेटी

5. श्रीमान – श्रीमती


VII. उदाहरण के अनुसार लिखिए:

1. पढ + आई = पढाई

2. चढ + आई = चढाई

3. कढिन + आई = कठिनाई

4. ऊँचा + आई = ऊँचाई

5. बढ + आई = बढाई


VIII. अन्य वचन लिखिए :

1. चट्टान – चट्टाने

2. रस्सी – रस्सियाँ

3. शीशा – शीशे

4. चोटी – चोटियाँ

5. चादर – चादरे


IX. विलोम शब्द लिखिए:

1. आरोहण × अवरोहण

2. चढना × उतरना

3. ठंडा × गरम

4. परिश्रम × विश्राम

5. सामने × पीछे


X. समानार्थक शब्द लिखिए :

उदा : पहाड = गिरि, पर्वत

1. चोटी = शिखर, शिखा

2. सुबह = प्रभात, भोर

3. महिला = स्त्री, नारी

4. नजदीक = समीप, पास


XI. निम्न शब्दों में विशेषण तथा संज्ञा शब्दों को अलग-अलग कीजिए :

शब्द संज्ञा विशेषण उदा : ऊँचा पर्वत – पर्वत ऊँचा

1. मधुर स्वर – स्वर मधुर

2. कर्कश आवाज – आवाज कर्कश

3. वडा साधु – साधु बडा

4. ठंडी हवा – हवा ठंडी

5. नायलॉन रस्सी – रस्सी नायलॉन


XII. अनेक शब्द के लिए एक शब्द दिये गये | हैं, ढूंढकर लिखिए :

उदा : जो पढ़ा लिखा न हो – अनपढ़

1. जहाँ पहुँचा न जा सके – दुर्गम

2. मास में एक बार आनेवाला – मासिक

3. जो कभी न मरे – अमर

4. अच्छे चरित्रवाला – सच्चरित्र

5. जो आँखों के सामने हो – प्रत्यक्ष

6. जो स्थिर रहे – स्थाई

7. जिसे क्षमा न किया जा सके – अक्षम्य

8. जो वन में घूमता हो – वनचर

9. जिसका संबंध पश्चिम से हो – पाश्चात्य

10. जो उपकार मानता हो – कृतज्ञ


XIII. कन्नड या अंग्रेजी में अनुवाद कीजिए :

1. बिछंद्री का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था।

उत्तर: ಬಿಛೇಂದ್ರಿಯವರ ಜನನ ಒಂದು ಸಾಧಾರಣ ಪರಿವಾರ ದಲ್ಲಿ ಆಯಿತು.

2.बिछंद्री को रोज पैदल चलकर स्कूल जाना पडता था।

उत्तर: ಬಿಛೇಂದ್ರಿರವರು ಪ್ರತಿದಿನ ಶಾಲೆಗೆ ನಡೆದು ಹೋಗಬೇಕಾಗಿತ್ತು,

3. दक्षिणी शिखर के ऊपर हवा की गति बढ़ गई थी।

उत्तर: ದಕ್ಷಿಣ ಶಿಖರದ ಮೇಲೆ ಗಾಳಿಯ ರಭಸ ಹೆಚ್ಚಾಗಿತ್ತು.

4.मुझे लगा कि सफलता बहुत नजदीक है।

उत्तर: ಸಫಲತೆ ತುಂಬಾ ಸಮೀಪದಲ್ಲಿದೆ ಎಂದು ನನಗೆ

5. मैं एवरेस्ट की चोटी पर पहुँचनेवाली प्रथम भारतीय महिला थी।

उत्तर: ನಾನು ಎವರೆಸ್ಟ್ ಶಿಖರ ತಲುಪಿದ ಮೊದಲ ಭಾರತೀಯ ಮಹಿಳೆಯಾಗಿದ್ದೆ.


महिला की साहस गाथा 

महिला की साहस गाथा पाठ का आशयः

इस पाठ से बच्चे साहस गुण, दृढ़ निश्चय, अथक परिश्रम, मुसीबतों का सामना करना इत्यादि आदर्श गुण सीखते हैं। इसके साथ हिमालय की ऊँची चोटियों की जानकारी भी प्राप्त करते हैं। यह पाठ सिद्ध करता है कि ‘मेहनत का फल अच्छा होता है’।

पाठ का सारांशः

बजेंद्री को एवरेस्ट पर चढ़नेवाली पहली भारतीय महिला होने का गौरव प्राप्त है। बसेंद्री के पिता किशनपाल और माता हंसादेई नेगी थीं। बचपन से ही अपने भाई की देखा देखी उन्होंने पहाड़ पर चढ़ने की आदत डाल ली। पर्वतारोहण का प्रशिक्षण भी लेना आरंभ किया। बचपन में बजेंद्री को पांच किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाना होता था। उन्होंने संस्कृत में एम.ए. और बी.एड. तक की शिक्षा प्राप्त की।

पहाड़ पर चढ़ने के लक्ष्य को सामने रखते हुए बसेंद्री ने ‘कालानाग’ पर्वत की चढ़ाई के साथ 1982 में ‘गंगोत्री ग्ले यर’ और ‘रूड गेरो’ की चढ़ाई की। वह अगस्त 1983 में दिल्ली पर्वतारोही सम्मेलन में शामिल हुयी और पहली बार तेनजिंग नोर्गे से मिली।

एवरेस्ट पर चढ़ने का अनुभव उन्होंने इस प्रकार लिखा – कर्नल खुल्लर के साथ साउथ कोल तक की चढ़ाई के लिए वह सुबह ही तैयार हो गई। हल्के नाश्ते के बाद अंग दोरजी के साथ सुबह 6:20 पर चढ़ाई शुरू की। ठंड बहुत अधिक थी। बगैर रस्सी के ही चढ़ाई की। बर्फ को फावड़े से काट कर रास्ता बनाना पड़ा। दो घंटे में वे शिखर कैंप पहुंच गए।

चाय पीने के बाद फिर चढ़े। ल्हाटू नायलॉन की रस्सी ले आया। रस्सी के सहारे चढ़े। ल्हाटू ने बजेंद्री की ऑक्सीजन भी बढ़ा दी जिससे चढाई आसान लगने लगी। दक्षिणी शिखर पर तेज हवा थी। भुरभुरी बर्फ के कणों से कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। 23 मई, 1984 को दोपहर 1 बजकर 7 मिनट पर बसेंद्री एवरेस्ट पर पहुंचने वाली प्रथम भारतीय महिला बनीं।

बसेंद्री ने बर्फ को चूमा और पूजा की। फोटो लिए गए। कर्नल खुल्लर ने वॉकी टॉकी पर कहा ‘देश को तुम पर गर्व है’| 43 मिनट बसेंद्री शिखर पर रही। बसेंद्री को इस कामयाबी के लिए भारतीय पर्वतारोहण संघ का प्रतिष्ठित स्वर्ण पदक, पद्मश्री और अर्जुन पुरस्कार मिले।

 

ಮಹಿಳೆಯರ ಸಾಹಸದ ಕಥೆ ಕನ್ನಡದಲ್ಲಿ ಸಾರಾಂಶ:

ಬಿಚ್ಚೇಂದ್ರಿ ಪಾಲ್ ಎವರೆಸ್ಟ್ ಶಿಖರ ಹತ್ತಿರ ಪ್ರಥಮ ಭಾರತೀಯಳು. ತಂದೆಯ ಹೆಸರು ಕಿಶನ್ ಪಾಲ್ ತಾಯಿಯ ಹೆಸರು ಹಂಸಾದೇಯಿ ನೆಗಿ, ಅವರದು ಮಧ್ಯಮ ವರ್ಗದ ಕುಟುಂಬ. ಬಿಚೇಂದ್ರಿ ಪಾಲ್ ರವರು ಚಿಕ್ಕಂದಿನಲ್ಲೇ ಪರ್ವತಾರೋಹಣದ ತರಬೇತಿ ಪಡೆದರು. ಪರ್ವತಾರೋಹಣದ ಶಿಕ್ಷಣದ ಜೊತೆ ಜೊತೆಗೆ ಬಟ್ಟೆ ಹೊಲೆಯುವ ಕೆಲಸವನ್ನು ಮಾಡಿ ತಮ್ಮ ಶಿಕ್ಷಣಕ್ಕೆ ಬೇಕಾದ ಹಣ ಸಂಪಾದಿಸಿದರು.

ಪರ್ವತಗಳ ಶಿಖರವನ್ನು ಏರುವುದು ಅವರ ಹವ್ಯಾಸವಾಗಿತ್ತು. ಕಾಲಾನಾಗ್ ಗಂಗೋತ್ರಿ ಹಿಮಾ ಪರ್ವತ ಮತ್ತು ರೋಡ್ ಗೇರು ಪರ್ವತಗಳನ್ನು ಅತ್ಯಂತ ಆತ್ಮ ವಿಶ್ವಾಸದಿಂದ ಹತ್ತಿದರು. ಎವರೆಸ್ಟ್ ಶಿಖರ ಅತ್ತಿದ ಪ್ರಥಮ ಪುರುಷ ಖ್ಯಾತಿಯ ತೇನ್ಸಿಂಗ್ ನೋರ್ಗೆ ಅವರಿಂದ ಪ್ರಭಾವಿತರಾದರು. ಬಿಚೇಂದ್ರಿ ಪಾಲ್ ರವರು 23ನೇ ಮೇ 1984 ರಲ್ಲಿ ಎವರೆಸ್ಟ್ ಶಿಖರವನ್ನು ಏರಿ ಭಾರತದ ತ್ರಿವರ್ಣ ಬಾವುಟವನ್ನು ಹಾರಿಸಿದರು. ಅವರೊಂದಿಗೆ ಆ ಅನುಪಮ ಕ್ಷಣದಲ್ಲಿ ಸಹಪರ್ವತಾರೋಹಿ ಅಂಗ ದೊರಾಜಿರವರು  ಕೂಡ ಇದ್ದರು.

ಈ ಎವರೆಸ್ಟ್ ಶಿಖರ ರೋಹಣ ಪೋಚಕವಾಗಿತ್ತು. ಅನೇಕ ಕಷ್ಟಗಳನ್ನು ಎದುರಿಸಿ 23ನೇ ಮೇ 1984ರ ಮಧ್ಯಾನ 2 ಗಂಟೆ 7 ನಿಮಿಷಕ್ಕೆ ಸರಿಯಾಗಿ ಎವರೇ ಶಿಖರ ತಲುಪಿದ ಪ್ರಥಮ ಭಾರತೀಯ ಮಹಿಳೆ ಎಂಬ ಖ್ಯಾತಿ ಪಡೆದರು. ಕಾರ್ನರ್ ಖುಲ್ಲರ್ ಅವರನ್ನು ಭಾರತದ ಹೆಮ್ಮೆಯ ಪುತ್ರಿ ಎಂದು ಶ್ಲಾಪಿಸಿ ಅಭಿನಂದಿಸಿದರು.

ಬಿಚೇಂದ್ರಿ ಪಾಲ್ರವರನ್ನು ಅವರ ಪ್ರತಿಮಾ ಸಾಧನೆಗಾಗಿ, ಈ ಭಾರತೀಯ ಪಾರ್ವತರೋಹಣ ಸಂಘ ಗೌರವಿಸಿತು. ಭಾರತದ ಸರ್ಕಾರದಿಂದ ಪದ್ಮಶ್ರೀ ಪ್ರಶಸ್ತಿ ದೊರೆಯಿತು. ಇದರೊಂದಿಗೆ ಅರ್ಜುನ ಪ್ರಶಸ್ತಿ ಇಂದಲೂ ಸನ್ಮಾನಿಸಲಾಯಿತು. ಇದರಿಂದ ಮಹಿಳೆಯರು ಸಹ ಸಾಹಸ ಪ್ರಿಯರು ಎಂಬುದು ಸಾಬೀತಾಗುತ್ತದೆ.
 

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