Recent Posts

सत्य की महिमा - 10 वीं कक्षा की तीसरी भाषा हिंदी पाठ्यपुस्तक प्रश्नावली

  सत्य की महिमा

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए —

1.‘सत्य’ क्या होता है? उसका रूप कैसे होता है?
उत्तर: सत्य बहुत भोला-भाला सीधा-सादा, जो कुछ भी आँखों से देखा बिना नमक मिर्च लगाये बौल दिया। यही तो सत्य है। सत्य दृष्टि का प्रतिबिम्ब है, ज्ञान की प्रतिलिपी है और आत्मा की वाणी है।

2. झूठ का सहारा लेते हैं तो क्या क्या सहना पड़ता है ?
उत्तर: झूठ का सहारा लेते हैं तो उस एक झूठ को साबित करने के लिए हजारों झूठ बोलने पड़ते हैं। और कहीं पोल खुली तो मुँह काला करना पड़ता है, अपमानित होना पड़ता है।

3. शास्त्र में सत्य बोलने का तरीका कैसे समझाया जाता है?
उत्तर: किसी को परेशान करने, दुखी करने के उद्देश्य से सत्य बोलना नहीं चाहिए। सत्य बोलने का तरीका शास्त्र में इस तरह समझाया गया है कि ‘सत्यं ब्रूयात्, प्रियं ब्रूयात्, न ब्रूयात् सत्यमप्रियम’ अर्थात् सच बोलो, जो दूसरों को प्रिय लगे, अप्रिय सत्य मत बोलो।।

4. “संसार के महान व्यक्तियों ने सत्य का सहारा लिया है” सोदाहरण समझाइए।
उत्तर: संसार में जितने महान् व्यक्ति हुए, सबै ने सत्य का सहारा लिया है। सत्य का पालन किया है। राजा हरिश्चन्द्र की सत्य निष्ठा विश्व विख्यात है। उन्हें सत्य मार्ग पर चलते अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन उनकी कीर्ति आज भी सूरज की रोशनी से कम प्रकाशमान नहीं है। राजा दशरथ ने सत्य वचन निभाने के लिए अपने प्राण त्याग दिए। महात्मा गाँधीजी ने सत्य की शक्ति से ही विदेशी शासन को झकझौर दिया।

5. महात्मा गाँधी का सत्य की शक्ति के बारे में क्या कथन है ?
उत्तर: महात्मा गाँधी का सत्य की शक्ति के बारे में यह कथन है कि- “सत्य एक विशाल वृक्ष है। उसका जितना आदर किया जाता है, उतने ही फल उसमें लगते हैं। उनका अन्त नहीं होता।”

6. झूठ बोलनेवाले की हालत कैसी होती है?
उत्तर: कभी कभी झूठ बोल देने से कुछ क्षणिक लाभ अवश्य होता है, पर उससे अधिक हानि ही होती है। क्षणिक लाभ विकास के मार्ग के लिए बाधा बन जाता है। झूठ बोलनेवालों का व्यक्तित्व कुंठित होता है। झूठ बोलनेवालों से लोगों का विश्वास उठ जाता है। उन्नति के द्वार बन्द हो जाते हैं।

7. हर स्थिति में सत्य बोलने का अभ्यास क्यों करना चाहिए?
उत्तर: सत्य की महिमा अपार है। सत्य महान और बडी शक्तिशाली है। सत्य की ही विजय होती है, असत्य की नहीं। सत्य की नाद से ही भवसागर का संतरण कर सकते है। सत्य वह चिनगारी है। जिससे असत्य पलभर में भस्म हो जाता है। इसलिए हर स्थिति में सत्य बोलने का अभ्यास करना चाहिए।

You Might Like

Post a Comment

0 Comments